सचिन चौधरी
पंच👊नामा, हरिद्वार: पर्यटन विभाग की वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में हुए घोटाले में नैनीताल हाइकोर्ट के आदेश पर हुई उच्च स्तरीय जांच में भी रसूखदारों को बचाने के लिए अफसरों ने खेल कर डाला। जांच टीम ने घोटाले की तह में जाने और कार्रवाई की संस्तुति करने के बजाय आरोपितों की कारगुजारी छिपाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई।
याचिकाकर्ता मास्टर सतीश चंद्र शर्मा ने सूचना अधिकार अधिनियम में जांच रिपोर्ट जुटाई तो अफसरों का कारनामा सामने आया। एसआइटी की तरह अब हाइकोर्ट के आदेश पर हुई जांच भी सवालों के घेरे में आ गई है। हरिद्वार में पर्यटन विभाग के तहत संचालित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में बड़ा घोटाला सामने आया था। सूचना के अधिकार अधिनियम में पता चला था कि जिले में अपात्र, रसूखदार व एक ही परिवार के कई-कई व्यक्तियों को ऋण की बंदरबांट की गई। साल 2019 में कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2003 से वर्ष 2011 के बीच हरिद्वार में तैनात रहे डीएम, सीडीओ, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, जिला पर्यटन विकास अधिकारी, प्रबंधक जिला अग्रणी बैंक, जीएम जिला उद्योग केंद्र, नाबार्ड के प्रतिनिधि और परिवहन के प्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज हुआ था।
जांच के लिए गठित एसआइटी तीन साल में एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी। इस मामले को लेकर उत्तरी हरिद्वार के भूपतवाला निवासी मास्टर सतीश चंद्र शर्मा ने नैनीताल हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें बताया गया कि रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा की पत्नी मनीषा बत्रा, भाजपा के जिला महामंत्री विकास तिवारी, सुनील सोनेजा, ओमकार जैन, विरेंद्र चड्ढा, विजय चड्ढा, अशोक कुमार, सरिता गोयल आदि संपन्न लोगों को बेरोजगार दिखाकर करोड़ों रुपये का लोन देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी। कोर्ट ने जांच के आदेश दिए। जिसमें यह पता लगाया जाना था कि लोन लेने के समय आरोपित बेरोजगार थे या नहीं, उन्हें किस आधार पर लोन दिया गया है, लेकिन चार सदस्यीय जांच समिति ने घोटाले की जांच करने के बजाय योजना की राशि, वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी।
सूचना अधिकार में प्राप्त जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए मास्टर सतीश चंद शर्मा ने आरोप लगाया कि रसूखदार घोटालेबाजों को बचाने के लिए जांच समिति ने लीपापोती की है। शासन और हाइकोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। बताया कि कानूनी लड़ाई पुरजोर तरीके से लड़ते हुए घोटालेबाजों को सजा दिलाई जाएगी।
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शासन ने बनाई थी समिति…..
हाइकोर्ट के आदेश पर पर्यटन विभाग के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई थी। इस समिति में अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद, निदेशक वित्त जगत सिंह चौहान, अपर निदेशक पर्यटन पूनम चंद और हरिद्वार की जिला पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल को शामिल किया गया था। समिति ने रिपोर्ट में बताया है कि योजना जिस रोजगार के संबंध में ली गई थी, वर्तमान में उसकी क्या स्थिति है। लोन लेने वाले उस समय बेरोजगार थे या नहीं, इस बिंदू को छुआ तक नहीं गया।