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अंजान युवक को बेटा मानकर लाश घर ले आई महिला, परिजनों के पैरों से खिसकी जमीन..

मामले आया नया मोड़, अब शव की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस, हरिद्वार से कलियर तक जद्दोजहद..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
सचिन चौधरी, हरिद्वार: जिला अस्पताल में युवक की मौत और शव को अमरोहा से लौटाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। पता चला है कि महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त है और 15 दिन पहले घर से लापता होने पर परिजनों ने उसकी गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी। शुुक्रवार की रात वह अचानक एक अंजान युवक की लाश लेकर घर पहुंची तो परिवार वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई।

फाइल फोटो

इसीलिए उन्होंने शव को वापस लौटाया था। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मरने वाला युवक आखिरकार कौन है। पुलिस यह गुत्थी सुलझाने के लिए हरिद्वार से पिरान कलियर तक उसकी शिनाख्त कराने में जुटी है। पुलिस यह मान रही है कि युवक कलियर में हाजिरी के लिए आया होगा। वहीं पर मानसिक रूप से बीमार महिला उसे अपना बेटा मान बैठी और जिला अस्पताल ले आई। शहर कोतवाल राकेंद्र कठैत ने बताया कि 72 घंटे में शव की शिनाख्त नहीं होती है तो डीएनए सैंपल सुरक्षित रखवाते हुए लावारिस के तौर पर मुस्लिम रीति से उसे सुपुर्दे खाक किया जाएगा। वहीं, पिरान कलियर थानाध्यक्ष मनोहर भंडारी ने बताया कि शिनाख्त की कोशिश की जा रही जा।
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फाइल फोटो

कलियर से लेकर पहुंची थी हरिद्वार……
खुर्शीदा बानो निवासी नौगांवा, थावर का बाजार अमरोहा उत्तर प्रदेश गुरुवार की रात 108 एंबुलेंस से एक युवक को गंभीर हालत में जिला अस्पताल हरिद्वार लेकर पहुंची। महिला ने उसे अपना बेटा बताते हुए अस्पताल में भर्ती कराया था। शुक्रवार शाम पांच बजे युवक की मौत हो गई। जिसके बाद महिला ने प्राइवेट एंबुलेंस बुक की और शव को लेकर अमरोहा चली गई। लेकिन महिला एंबुलेंस में जब घर पहुंची तो उसके पति ने शव बेटे का होने से ही इंकार कर दिया। कुछ देर बाद महिला गायब हो गई और लोग शव वापस ले जाने का दबाव डालने लगे। स्थानीय पुलिस ने भी एंबुलेंस चालक गुलाम नबी पर दबाव बनाकर शव वापस भिजवा दिया।
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फाइल फोटो

300 किलोमीटर तक लाश ढोकर भी एंबुलेंस चालक परेशान….
हरिद्वार: युवक का शव ले जाकर एंबुलेंस चालक गुलाम नबी ने मुसीबत मोल ले ली। अमरोहा में शव लेने से इन्कार करने पर उसने पुलिस भी बुलाई। मगर पुलिस ने भी उसे डांट फटकारते हुए शव लेकर हरिद्वार वापस भेज दिया। चालक ने बताया कि छह हजार रुपये में शव ले जाने की बात तय हुई थी। महिला के परिजनों ने बमुश्किल उसे तीन हजार रुपये दिए। उसे किराया भी पूरा नहीं मिला और लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर से दोबारा शव लेकर हरिद्वार आया तो अस्पताल के चिकित्सा स्टाफ ने उसे खरी खोटी सुनाई। शव को मोर्चरी में रखने से मना करने पर वह कई घंटे तक अस्पताल से कोतवाली के बीच चक्कर काटता रहा कि शव लेकर जाए तो जाए कहां। अब पुलिस उससे दोबारा पूछताछ की बात कह रही है। यह भी संभव है कि हरिद्वार पुलिस की एक टीम महिला से पूछताछ के लिए चालक को अपने साथ अमरोहा लेकर जाए।

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