
पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: रानीपुर झाल के समीप धोखाधड़ी कर रौ नदी की जमीन खुर्दबुर्द करने के मामले में पुलिस ने आखिकार दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

डेढ़ महीने पहले पुलिस ने एक संत सहित चार आरोपियों को जांच में शामिल करते हुए नोटिस तामील कराए थे। जिसके बाद एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर इस मामले की जांच एसआईएस शाखा कर रही थी। गुरुवार को मुख्य आरोपी मुनिन्द्र शान शर्मा व गवाह जाहिद को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों को शुक्रवार की सुबह कोर्ट में पेश किया जाएगा।

रानीपुर झाल के पास बहादराबाद क्षेत्र में कुछ महीने पहले सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर प्लॉटिंग करने का खुलासा हुआ था। महंत किशनदास निवासी घनश्याम भवन भूपतवाला की शिकायत पर तहसील प्रशासन की ओर से लगाए गए सरकारी बोर्ड पर भी कालिख पोत डाली थी। जिसके बाद पटवारी सुभाष जैमिनी की ओर से अज्ञात भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

साथ ही प्रशासन में भी शिकायत की गई। पुलिस और प्रशासन की जांच में सामने आया कि रामाआधार निवासी भूपतवाला की पावर आफ अटॉर्नी के आधार पर मुनेंद्र शान शर्मा निवासी धर्मपुर देहरादून ने ट्रस्ट की पांच बीघा भूमि और सरकारी 10 बीघा भूमि अवैध रूप से बेच डाली।

इस मामले की जांच कर रहे उप निरीक्षक हेमदत्त भारद्वाज ने आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस तामील कराए थे। बाद में इस मामले की जांच एसएसपी के निर्देश पर एसआईएस शाखा को भेज दी गई। मामले की जांच कर रहे उपनिरीक्षक रंजीत खनेडा ने विवेचना के दौरान सुबूत जुटाते हुए धारा 419 420 467 468 471 120 B के तहत मुनेंद्र शान शर्मा निवासी धर्मपुर चौक देहरादून, जाहिद खान निवासी त्रिमूर्तिनगर सुभाषनगर को गिरफ्तार कर लिया।
सीओ ज्वालापुर निहारिका सेमवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों आरोपियों को शुक्रवार की सुबह कोर्ट में पेश किया जाएगा।
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“23 रजिस्ट्रियों पर लटकी तलवार….

हरिद्वार: फर्जीवाड़ा उजागर होने पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी पूरण सिंह राणा के निर्देश पर राजस्व उपनिरीक्षक तेलूराम ने इस मामले की जांच की। जिसमें पता चला कि रामाआधार दास ने डीएम की अनुमति के बगैर अवैध रूप से साल 2021 में खसरा नंबर 649 की पावर आफ अटॉर्नी मुनिदर शान शर्मा के नाम पर की। इसी आधार पर शर्मा ने ट्रस्ट की भूमि और सरकारी जमीन को मिलाकर कुल 23 रजिस्ट्रियां की।
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राजस्व उपनिरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में इन रजिस्ट्रियों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार में निहित करने की संस्तुति भी की। इतना बड़ा खेल सामने आने के बावजूद अभी तक न तो तहसील प्रशासन की ओर से संबंधित कर्मचारियों से कोई जवाब मांगा गया और न रजिस्ट्रियों को लेकर अभी कोई कार्रवाई हुई। हालांकि, प्रशासन की शुरूआती जांच और पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर इन सभी 23 रजिस्ट्रियों पर तलवार लटकनी तय है।
