हरिद्वार

साबिर के दर पर 20 साल बाद मिले दो जिगरी दोस्त, आंखों में तैर उठा बचपन…

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ख़ादिम खुशतर चिश्ती मियां व सुहेल इकबाल एड. फोटो-पंच👊नाम

(पिरान कलियर:-पंच👊नामा)

“यार को हमने जा बजा देखा,, कहीं ज़ाहिर तो कहीं छुपा देखा….. मशहूर शायर नियाज़ बरेलवी का ये शेर सार्थक होता है एक ऐसी दोस्ती के नाम जो बरसो बाद ज़ाहिरी तौर पर दरबार-ए-साबरी में मिले, और गले मिलकर मानो एक पल के लिए दुनियां भुला बैठे…

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ये माजरा था दरगाह शरीफ के मुख्यद्वार पर स्थित खानकाह का, जहां ईद-मिलादुन्नबी के मौके पर महफ़िल-ए-शमा का आयोजन चल रहा था, गद्दी पर मौजूद दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज के ख़ादिम सैय्यद खुशतर चिश्ती मियां मौजूद थे, तभी सम्भल से विधायक के पुत्र वहां अचानक तशरीफ़ ले आए, और फिर दोनों के बीच हुई मुलाकात का नजारा देखने लायक था। करीब 20 साल बाद दोनों ने एक दूसरे को एक नजर में ही पहचान लिया।

दरअसल इन दिनों पिरान कलियर में दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का सालाना उर्स चल रहा है। उर्स में दूर दराज से अकीदतमंद पिरान कलियर पहुँच रहे है। उर्स की बड़ी रौशनी ईद-मिलादुन्नबी के मौके पर सम्भल से पिरान कलियर पहुँचे विधायक पुत्र सुहेल इकबाल के लिए ये उर्स एक हसीन यादगार बनकर रह गया। उर्स में सुहेल इकबाल की मुलाक़ात एक ऐसे शख्स से हुई जो करीब 20 साल पहले बेहद खास हुआ करते थे, जी हां उर्स में महफ़िल-ए-शमा कव्वाली के दौरान गद्दी पर मौजूद ख्वाजा गरीब नवाज के ख़ादिम खुशतर मियां और विधायक पुत्र सुहेल इकबाल की मुलाक़ात अचानक 20 साल बाद हुई, दोनों ने एक दूसरे को एक पल में ही पहचान लिया। सैय्यद खुशतर मियां ने बताया कि ये साबिर पाक का दर है यहां बिछड़े हुए मिलते है और आज साबिर पाक के दर पर 20 साल बाद बचपन का एक बेहद करीबी दोस्त मिला, है साबिर पाक ये दोस्ती हमेशा कायम रखे। वही सुहेल इकबाल ने बताया कि 20 साल बाद सैय्यद खुशतर चिश्ती मियां से मुलाकात हुई, बचपन मे काफी समय साथ गुजरा है आज मिलकर बचपन की यादें ताजा हो गई।

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