
पंच👊नामा-ब्यूरो, देहरादून: यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने टिहरी गढ़वाल में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई के बाद पूरा मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सीबीआइ की गिरफ्तारी ने जहां पेपर लीक नेटवर्क की गंभीरता उजागर की है, वहीं प्रारंभिक पुलिस जांच में सुमन के प्रति बरती गई नरमी भी सवालों के घेरे में आ गई है।
यह प्रकरण 21 सितंबर को आयोजित यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ा है। परीक्षा के दौरान हरिद्वार के बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज केंद्र से अभ्यर्थी खालिद ने प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो खींचकर अपनी बहन को व्हाट्सएप पर भेजी थी और बहन ने यह फोटो टिहरी के असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन के मोबाइल पर भेजी। सुमन ने 10 मिनट में सभी सवालों के जवाब वापस किया और फिर इसी चैनल से यह जवाब खालिद तक पहुंचे थे। मामला उजागर होने के बाद देहरादून के रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस अधीक्षक ग्रामीण (ऋषिकेश) जया बलूनी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की गई।
एसआईटी जांच में सामने आया कि खालिद ने अपनी बहन साबिया के माध्यम से प्रश्नपत्र के फोटो टिहरी गढ़वाल के अमरोडा डिग्री कॉलेज, प्रतापनगर में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को भेजे थे। पुलिस इस तथ्य से भी अवगत थी कि जिन सवालों को हल किया गया, वे उसी दिन आयोजित परीक्षा से जुड़े थे। इसके बावजूद शुरुआती दौर में सुमन को केवल पूछताछ तक सीमित रखा गया, जबकि मुख्य आरोपित खालिद और उसकी बहन को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। सुमन को लेकर पुलिस का रुख नरम रहा।
लेकिन बाद में जब मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई, तो एजेंसी ने डिजिटल साक्ष्यों, चैट रिकॉर्ड, समय-रेखा और प्रश्न हल करने की प्रक्रिया की गहन जांच की। इन तथ्यों के आधार पर सीबीआइ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सुमन की भूमिका केवल संयोगवश या गलती या लापरवाही नहीं, बल्कि सक्रिय सहभागिता की थी। सीबीआई ने माना कि इस पूरे मामले में जितनी भूमिका खालिद की है लगभग उतनी ही सुमन की भी है। इसके बाद सीबीआई ने सुमन को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस इस मामले में सुमन को क्यों गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी, अब इसको लेकर भी कई तरह की चर्चाएं बनी हुई है। फिलहाल सीबीआइ पूरे पेपर लीक प्रकरण की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है। जांच एजेंसी अन्य संभावित संलिप्त लोगों, तकनीकी माध्यमों और आर्थिक लेनदेन की भी पड़ताल कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस चर्चित मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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सात साल पहले मिले थे खालिद और सुमन…..
जांच में यह भी सामने आया है कि सुमन और मुख्य आरोपित खालिद का परिचय करीब सात साल पुराना है। वर्ष 2018 में दोनों का संपर्क कामकाजी कारणों से हुआ था और इसके बाद बातचीत का सिलसिला बना रहा। वर्ष 2022 में सुमन के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन के बाद भी संपर्क जारी रहा।



