
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: सीमा विवाद को लेकर कई बार एक ही जिले में दो थानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती है। बात अगर अलग-अलग राज्यों की हो तो फिर विवाद और ज्यादा गहरा जाता है। लेकिन हरिद्वार-बिजनौर सीमा पर शनिवार को 70 जिंदगियों को मौत के मुंह में समा जाने से रोकने के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पुलिस ने सीमा और अधिकार क्षेत्र को किनारे रख दिया। हरिद्वार की पुलिस ने बिजनौर की सीमा में पहुंचकर पहले रेस्क्यू की कमान संभाली। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने एक शरीर के दो हाथ बनकर नदी में फंसी रोडवेज बस के एक-एक यात्री को सकुशल बचाया। यात्रियों की जान बचाने के लिए पुलिस के इस जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा है। मौत को करीब से देख चुके यात्रियों के लिए तो पुलिसकर्मी भगवान से कम नहीं है।
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शनिवार को श्यामपुर-बिजनौर बॉर्डर पर कोटावाली नदी के उफान में यात्रियों से भरी बस फंसने पर दोनों राज्यों की पुलिस ने अधिकार क्षेत्र देखने में वक्त बरबाद नहीं किया। यूं तो घटनास्थल बिजनौर के मंडावली थाने का था।

लेकिन सूचना मिलने पर सबसे पहले श्यामपुर की लालढांग चौकी प्रभारी विनय मोहन द्विवेदी पहुंचे।

उनके चंद मिनट बाद ही श्यामपुर थानाध्यक्ष विनोद थपलियाल आ गए और पुलिस टीमों के साथ मिलकर बस में सवार यात्रियों को बचाने की जद्दोजहद में लग गए। सूचना मिलने पर बिजनौर के मंडावली थानाध्यक्ष रविंद्र सिंह ने भी घटनास्थल की सीमा जानने की जरूरत नहीं समझी, बस सूचना मिलते ही मौके पर दौड़ पड़े। दोनों राज्यों की पुलिस ने एकजुट होकर रेस्क्यू आप्रेशन किया।
जिसका नतीजा यह रहा कि क्रेन की मदद से बस में नदी में समाने से रोक लिया गया और सभी 70 यात्रियों की जान बच गई। पहले घटनास्थल पर पहुंची श्यामपुर पुलिस यदि यह सोचकर हाथ बांध लेती थी कि घटनास्थल उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है तो शायद बहुत देर हो चुकी होती।
ऐसी परिस्थितियों में बस में सवार यात्रियों का बचना नामुमकिन था। यात्रियों ने दोनों राज्यों की पुलिस को हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया। वहीं स्थानीय निवासियों ने भी पुलिस की प्रशंसा की।
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“अधिकारियों ने दी शाबाशी……
एसएसपी अजय सिंह, एसपी क्राइम रेखा यादव, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह सहित हरिद्वार के आला अधिकारियों ने श्यामपुर थानाध्यक्ष विनोद थपलियाल व उनकी टीम को शाबाशी दी। बिजनौर के पुलिस अधिकारियों ने भी हरिद्वार पुलिस की सराहना की और अपनी पुलिस टीम की पीठ भी थपथपाई।