उत्तराखंड ने नेशनल फुटबॉल में 38 साल में जीता मेडल, रोशनाबाद के होनहार खिलाड़ी वाजिद ने बढाया मान..
मजदूरी करते हैं वाजिद के पिता, विपरीत परिस्थितियों में हासिल किया मुकाम, मां-बाप को दिया श्रेय..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। 38 वर्षों में पहली बार उत्तराखंड की टीम ने राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल में सिल्वर मेडल हासिल किया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि में रोशनाबाद के वाजिद अली का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से प्रदेश और अपने गांव का नाम रोशन किया।
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संघर्ष की मिसाल बने वाजिद अली……वाजिद अली की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता की कड़ी मेहनत और त्याग छिपा है। उनके पिता, अलीशेर अली, मजदूरी और ठेला लगाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। खेल के प्रति वाजिद के जुनून को देखते हुए उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि उनके बेटे को जरूरी संसाधन और सही मार्गदर्शन मिले।
इस उपलब्धि पर वाजिद अली ने कहा, “आज जो भी मुकाम मैंने हासिल किया है, उसका पूरा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। उन्होंने अपनी जरूरतों को दरकिनार कर मेरी हर जरूरत को पूरा किया और मुझे इस स्तर तक पहुंचाया।
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गांव में जश्न, माता-पिता को गर्व…..वाजिद की इस जीत के बाद उनके गांव रोशनाबाद में खुशी का माहौल है। हर कोई इस होनहार खिलाड़ी की तारीफ कर रहा है। उनके पिता अलीशेर अली ने गर्व से कहा, “मेरे बेटे ने मेरा नाम पूरे भारत में रोशन कर दिया। उसकी मेहनत रंग लाई और उसने न सिर्फ अपने गांव, बल्कि पूरे उत्तराखंड को गर्व का अवसर दिया है।”
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वंदना कटारिया के बाद एक और सितारा……रोशनाबाद की ही बेटी वंदना कटारिया ने हॉकी में अपने असाधारण प्रदर्शन से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई थी, और अब उसी गांव से वाजिद अली ने फुटबॉल में नया इतिहास रच दिया है। यह गांव अब एक बार फिर खेल प्रतिभाओं की नर्सरी के रूप में उभर रहा है।
उत्तराखंड की इस ऐतिहासिक जीत से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। स्थानीय लोग, खेल प्रेमी और प्रशासन सभी वाजिद अली की मेहनत और लगन की सराहना कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह सफलता भविष्य में उत्तराखंड के अन्य युवाओं को भी प्रेरित करेगी और प्रदेश खेलों में नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।