पंच👊नामा
रुड़की: “सियासत इस कदर आवाम पर अहसान करती है, ये आंखें छीन लेती है, फिर चश्में दान करती है…!! भारतीय राजनीति की हकीकत बयान करने वाला यह शेर चुनावी मौसम में झबरेड़ा विधानसभा में हुए अनुसूचित जाति सम्मेलन पर एकदम सटीक बैठता है। भाषणों में सबको माला-माल करने के दावे और धरातल पर सब हवा हवाई। इस सम्मेलन में दूर-दूर से अपने प्रिय सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सुनने आए ग्रामीणों को घंटो तक भूखे बैठाकर जबरन भाषण सुनवाए गए। यह ग्रामीणों पर अत्याचार नहीं है तो और क्या है।
शाम 4:00 बजे तक भी जब निशंक के आने की कोई सूरत नहीं निकली तो फोन पर रिकॉर्डेड भाषण सुनवा कर खाना परोसा गया। एक कहावत है कि “भूखे पेट ना होते भजन गोपाला। मतलब यह है कि इंसान भूखा हो तो भगवान की भक्ति में भी मन नहीं लगता। यहां तो फिर नेताओं की भाषणबाजी सुननी थी। बेचारगी की इंतहा यह है कि ग्रामीण बेचारे हाथ में प्लेट लिए खाने के लिए तरसते रहे और ना चाहते हुए भी उन्हें भाषण सुनने के लिए मजबूर किया गया।
खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष तेलू राम प्रधान भी मौजूद थे, जो खुद ज्वालापुर विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। कार्यक्रम के बाद ग्रामीणों ने खुद आयोजकों को भी पोल खोलते हुए उन्हें जमकर कोसा।
———————-
घंटों भाषणों से पेट भरने की नाकाम कोशिश
झबरेड़ा में मंगलौर रोड़ स्थित एक फार्म हाउस पर भाजपा का अनुसूचित मोर्चा सम्मान सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल को आना था, लेकिन किन्ही कारणों से वह नही आ पाए। जिसके बाद कार्यक्रम में पहुँचे पूर्व मंत्री व विधायक खजानदास ने ही कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में बोलते हुए पार्टी की उपलब्धियां गिनाई। उन्होंने कहा भाजपा में ही दबे-कुचले दलित समाज का सम्मान निहित हैं। भाजपा ने बाबा साहेब को भारत रत्न देने का काम किया। साथ ही बाबा साहेब की शिक्षा-दीक्षा, जहां उन्होंने अन्तिम सांस ली, ऐसे पांच स्थलों को तीर्थ स्थल के रुप में स्थापित करने का काम केंद्र की मोदी सरकार ने किया। जो हमारे लिए गौरव की बात हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के महामहिम राष्ट्रपति दलित समाज से हैं, इससे बड़ा और क्या सम्मान हो सकता हैं। यही नहीं बाबा साहेब ने लंदन के जिस कॉलेज से पढ़ाई की, उसे भारत सरकार ने अपने अधीन कर वहां तीर्थ स्थल बनाने का काम किया। जो भाजपा सरकार की दलित समाज के प्रति सच्ची निष्ठा को दर्शाता हैं। कार्यक्रम में ये भाषण कार्यकर्ता भूखे पेट सुनते रहे, और अंत में जाकर कहीं भोजन नसीब हुआ।
————————–
जिले की राजनीति की “रीढ़ हैं अनुसूचित मतदाता….
रुड़की: अनुसूचित जाति के मतदाताओं के साथ यह व्यवहार तब हुआ है जबकि जिले में वह निर्णायक स्थिति में है और राजनीति की रीढ़ माने जाते हैं। यूं तो हर पार्टी खुद को दलितों का मसीहा बताते नहीं थकती है। लेकिन सबसे सत्ताधारी पार्टी के कार्यक्रम की हकीकत चुनावी मौसम में खुलकर सामने आ गई।
——————