दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में वीआईपी का मेला, अखाड़े के पदाधिकारियों को निमंत्रण तक नहीं..
जूना अखाड़ा के संत भी नहीं आए नजर, अखाड़ा परिषद के दोनों गुट भी नदारद, संतों में नाराजगी, चर्चाएं गर्म..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी के पद स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर कनखल स्थित हरिहर आश्रम में चल रहे दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में वीवीआइपी और वीआईपी हस्तियों का मेला लगा है।
लेकिन विभिन्न अखाड़ों के पदाधिकारी को आमंत्रण ही नहीं दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ मोहन भागवत के पहुंचने के दौरान भी कार्यक्रम में मंच पर अखाड़े के संत ही नजर नहीं आए।
जानकारी लेने पर सामने आया कि अखाड़े की पदाधिकारियों और अखाड़ा परिषद को विधिवत रूप से निमंत्रण ही नहीं मिला है। जिसको लेकर संतों में नाराजगी की चर्चाएं भी बनी हुई हैं। कार्यक्रम के बीच यह मामला हर तरफ चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज के पीठ पर विराजमान हुए 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव का आयोजन किया गया है।
जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, स्वामी रामदेव, स्वामी चिदानंद मुनि, पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी समेत कई नामचीन हस्तियां शामिल हुई थी।
सूत्रों से ज्ञात हुआ कि अखाड़े के पदाधिकारी ना कार्यक्रम में नजर आए और ना ही मंच पर कोई पदाधिकारी दिखाई दिया। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, लेकिन जूना अखाड़े के ही पदाधिकारी कार्यक्रम में मौजूद नजर नहीं आए।
अन्य अखाड़ों के पदाधिकारी भी नहीं दिखे। जानकारी जुटाने पर मालूम हुआ कि अखाड़ों के पदाधकारियों को कार्यक्रम में आमंत्रित ही नहीं किया गया था। यह मामला बेहद चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज से इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला।हो सकता है स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का निजी कार्यक्रम होने के चलते आमंत्रण नहीं दिया गया हो, लेकिन उन्हें इसको लेकर कोई आपत्ति या शिकायत बिल्कुल भी नहीं है।
श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि जूना पीठाधीश्वर के आचार्य पीठ पर आसीन होने के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में अखाड़ा परिषद को आमंत्रित नहीं किए जाने से समस्त अखाड़ा परिषद में रोष है। इससे अखाड़ा परंपरा का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि आचार्य पीठ का अस्तित्व भी अखाड़ों से ही है। जूना पीठाधीश्वर के कार्यक्रम में जूना अखाड़े के पंचों और अखाड़े के महामंडलेश्वरों, जूना अखाड़े के सहयोगी आह्वान व अग्नि अखाड़े को भी आमंत्रित नहीं किया जाना बेहद खेदजनक है।
संत परंपरा और सनातन धर्म संस्कृति की संवाहक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अनदेखी किए जाने से सभी तेरह अखाड़ों के संतों में रोष है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि सन्यासी, बैरागी, निर्मल व उदासीन सभी तेरह अखाड़े उनकी आत्मा में बसते हैं। अखाड़ों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेन्द्र दास महाराज और श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के सचिव महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि आचार्य परंपरा अखाड़ों से बनती है। यदि आचार्य ही अखाड़ों को नहीं मानते हैं तो अखाड़ों को इस पर विचार करना चाहिए। क्योंकि अखाड़े ही आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और महंत आदि पदवी देते है। नागा सन्यासी अखाड़ों से हैं और अखाड़े ही नागा सन्यासी बनाते हैं। कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज और महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि इससे अखाड़े का अपमान हुआ है।