हरिद्वार

ये दुनिया नफरतों की आखिरी स्टेज पर है, इलाज इसका मुहब्बतों के सिवा कुछ भी नहीं..

रुड़की में कल्चर उत्सव की ओर से आयोजित हुआ ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय शायरों और कवियों ने पेश किए कलाम..

पंच👊नामा
रुड़की: कल्चर उत्सव की ओर से शिक्षानगरी रुड़की में ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमे अंतरराष्ट्रीय शायरों व कवियों ने अपने-अपने कलाम पेश कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत व पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने शिरकत की, और आयोजन कमेटी को कामयाब अदबी महफ़िल की मुबारकबाद पेश की। इस दौरान कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद, झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाति, भगवानपुर विधायक ममता राकेश, पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल, रुड़की मेयर गौरव गोयल, कांग्रेसी नेता सचिन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार रियाज कुरैशी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। रुड़की नेहरू स्टेडियम में कल्चर उत्सव की जानिब से मशहूर युवा शायर अल्तमश अब्बास की ओर से ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय शायर शकील आज़मी, चरण सिंह बशर, अबरार काशिफ, इकबाल अशहार, शबीना आदिब, अल्ताफ जिया, डा. नदीम शाद, नईम अख्तर, मेहशर अफरीदी, मुमताज़ नसीम, अशरार चंदेरवी, चराग शर्मा, डॉ. अनवर हसन, काशिफ रज़ा, अलीम वाजिद सहित हास्य कवि अनिल अगरवंशी, पॉपुलर मेरुठी, सज्जाद झंझट आदि ने शिरकत कर अपने-अपने कलाम पेश किए। शायर शकील आजमी ने पढ़ा “परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पे बैठके क्या आसमान देखता है। चरण सिंह बशर ने कहा ये दुनियां नफरतों के आखिरी स्टेज़ पर है, इलाज इसका मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही। अबरार काशिफ ने बेहतरीन निज़ामत के दौरान पढा में तेरे ख्वाब वापस कर रहा हूँ, मेरी आँखों में गुंजाइश नही है। इकबाल अशहार ने यूं बया की अपनी शायरी कि उम्र का ढलना किसी के काम तो आया, आईने के हैरते कम हो गई अच्छा हुआ, दास्ताने ही सुनानी है तो फिर इतना तो हो, सुनने वाला शौंक से ये कह उठे फिर क्या हुआ। मशहूर शायरा शबीना आदिब ने पढ़ा “जो ख़ानदानी रईस है वो, मिज़ाज़ रखते है नर्म अपना, तुम्हारा लहज़ा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है। डा. नदीम शाद ने कहा “सब मिलकर आवाज़ उठाए तो कुछ चांद पे रौब पड़े, में तन्हा जुगनू हूं मेरे चिल्लाने से क्या होगा। मुमताज़ नसीम ने अपने गीत में कहा मेरे हमसफ़र मेरे इश्क का क्यों मज़ाक तूने बना दिया, तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया तूने यार का ये सिला दिया। कार्यक्रम के संयोजक युवा शायर अल्तमश अब्बास ने पढ़ा “जमीं की तह में उतरने के बाद खुलते है बहुत से लोग तो मरने के बाद खुलते है। वही हास्य कवि व शायरों ने भी लोगों का खूब मन मोहा। कार्यक्रम में बतौर मेहमाने ख़ुसूसियो का संयोजक कमेटी ने पेंटिंग चित्र देकर सम्मानित भी किया।

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