“जब मजहब से ऊपर उठी इंसानियत, बेसहारा हिंदू महिला की मौत होने पर नौशाद अली बने सहारा..
हिंदू रीति-रिवाजों से कराया अंतिम संस्कार, अर्थी को भी दिया कंधा..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: इंसानियत का असली चेहरा एक बार फिर ज्वालापुर में देखने को मिला, जहां समाजसेवी नौशाद अली ने धर्म और मजहब की सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए मानवता की मिसाल पेश की।
रेलवे स्टेशन ज्वालापुर के पास रहने वाली बुजुर्ग महिला शोभा देवी की मौत के बाद जब उनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था, तब नौशाद अली खुद आगे आए। उन्होंने न सिर्फ हिंदू रीति रिवाज से महिला का अंतिम संस्कार कराया बल्कि खुद कंधा देकर इंसानियत का फर्ज भी निभाया।
करीब 65 वर्षीय शोभा देवी लंबे समय से अकेली जीवन जी रही थीं। उनके पति की कुछ साल पहले मौत हो चुकी थी और कोई परिजन पास नहीं था। आसपास के लोग और राहगीर ही कभी-कभार खाने-पीने में उनकी मदद कर देते थे। बीमारी के चलते सोमवार को उनका निधन हो गया। सूचना मिलते ही नौशाद अली बिना देर किए मौके पर पहुंचे और अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली।
नौशाद अली ने हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार सभी विधि-विधान पूरे कराते हुए कनखल श्मशान घाट में शोभा देवी को सम्मानजनक विदाई दिलाई। उन्होंने खुद अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की हर व्यवस्था की।
इस मानवीय पहल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद लोगों ने नौशाद अली की जमकर सराहना की। स्थानीय लोगों का कहना है कि हरिद्वार की पहचान गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी है और ऐसे ही लोग इस परंपरा को आज भी जीवंत बनाए हुए हैं।



