हरिद्वार

कलियर की बदहाली का जिम्मेदार कौन, “दरगाह दफ्तर, नगर पंचायत, अफसर या जनप्रतिनिधि…?

दरबार शरीफ से मोहब्बत सबको, तो क्यों नहीं बदलती तस्वीर.. लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद दरगाह तक क्यों पहुंचा गंदा पानी..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: जिम्मेदार कौन…? इसी सवाल के साथ आज का ये लेख। कथित आस्थावान, क्षेत्रीय जिम्मेदार, जनप्रतिनिधि, संबधित अधिकारी, सेवादार, क्षेत्र की जनता या फिर दरबार शरीफ के नाम पर रोजगार चलाने वाले दुकानदार…. सभी लोग दरबार शरीफ में अपनी-अपनी गहरी आस्था जताने और रखने का दम भरते है, लेकिन व्यवस्था बिगड़ने पर एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते नहीं थकते है। सबसे बड़ी बात ये कि पुरानी गलती से सीख लेने की बजाए दूसरी गलती होने का इंतेज़ार किया जाता है और फिर वही “ढाक के तीन पात”

अब आपको बता दे देश-दुनियां में अपनी अलग पहचान रखने वाली विश्व प्रसिद्ध दरगाह हज़रत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में अनगिनत लोगों की आस्था है, लोग दरबार मे दिल खोलकर चढावा चढ़ाते है। यही वजह है कि दरगाह साबिर पाक उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड की सबसे अधिक आय वाली दरगाह है, वर्तमान में दरगाह के पास करोड़ो रूपये का फंड मौजूद है। अब यहां व्यवस्थाओं की बात करें तो आय दिन अव्यवस्थाओं की खबरें जगजाहिर होना तो यहां मानो आम बात हो, लेकिन तमाम जिम्मेदारों की जिम्मेदारी उस समय सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में खड़ी हो जाती है जब विश्व मे विख्यात दरगाह के अंदर बारिश/नाली,नालों का गंदा पानी भर जाए। जिस आंगन को आस्थावान लोग अपने होंठो से चूमते हो, माथे से रगड़ते हो उसी परिसर में गन्दा पानी तैरने लग जाए, तो यकीनन सवाल खड़े होते है। इबादतगाह गंदे पानी से लबालब हो जाए तो सवाल उठते है। सवाल ये कि जिम्मेदार कौन…..? दरअसल पिरान कलियर में दरगाह साबिर पाक समेत अन्य वक़्फ़ दरगाहों की देखरेख और उनकी व्यवस्थाओं के मद्देनजर वर्तमान में दफ्तर तैनात है। दफ्तर में अधिकारी/कर्मचारियों का भारी भरकम अमला भी मौजूद है। जिनके ऊपर लाखो रुपये का खर्च दरगाह वहन करती है। इसके साथ ही पिछले कुछ सालों से पिरान कलियर को नगरपंचायत की उपलब्धि भी हासिल हुई, यहां आवाम की आवाज उठाने और क्षेत्र की व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी अधिकारी मौजूद है। तीसरा क्षेत्र में सफेदपोश नेताओ की तो भरमार ही खत्म होने का नाम नही लेती जिन्हें जिम्मेदार होने का तमगा भी हासिल है। इन सबके अलावा कुछ कथित आस्थावान जो आस्था के चूल्हे पर रोटियां सेंकते है उनकी तादाद गिनती करने योग्य नही है। वही सूफ़ियाना रसुमात, परम्परागत कार्यो का बखान करने वाले भी इसी नगरी में मौजूद है… उसके बाद भी आखिर ऐसा क्यों…….?
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संक्षेप में……
वर्ष 2015 में भी दरगाह साबिर पाक में बारिश का पानी भरा था, तब लाखो रुपये खर्च कर नालों का निर्माण कराया गया, लेकिन उनकी सफाई व्यवस्था समय पर ना होने के कारण वही मंजर 2022 में भी देखने को मिला। नाली, नालों की सफाई का जिम्मा नगरपंचायत से लेकर दरगाह दफ्तर अधिकारियों का है, लेकिन नालों पर हुए अवैध अतिक्रमण के जिम्मेदार आम नागरिक है। फड़/अस्थाई दुकानों का नाले के ऊपर बना होना भी सफाई ना होने का मुख्य कारण है,,, वही दफ्तर मात्र पैसा इकठ्ठा करने और खर्च करने तक सीमित होकर रह गया, निर्माण के नाम पर पैसों की बंदरबांट होना अब किसी से छिपा नही है। व्यवस्था बिगड़ने में दरगाह दफ्तर, नगरपंचायत एक सिक्के के दो पहलू वाली भूमिका में दिखाई पड़ रहे है। इसके साथ ही क्षेत्रीय जिम्मेदार, बड़े अफसर, जनप्रतिनिधि, सेवादार आदि भी अपनी जिम्मेदारी से मुँह नही मोड़ सकते… जनता इसी सवाल का जवाब चाहती है “आखिर जिम्मेदार कौन…..?

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