हरिद्वार

नकली शराब की “मिनी फैक्ट्री” को क्यों नहीं सूंघ पाया आबकारी विभाग, सीएम धामी पूछेंगे सवाल..?

लंबे समय से हरिद्वार में जमे आबकारी इंस्पेक्टर के ठेंगे पर कानून, बार-बार एक ही सर्किल में कैसे मिल रही तैनाती..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिले में जहरीली शराब के दो बड़े कांड सामने आने और 50 से ज्यादा लोग मौत के आगोश में समा जाने के बाद भी आबकारी विभाग कुंभकरणी नींद में सोया हुआ है। गुरुवार को रानीपुर कोतवाली क्षेत्र में नकली शराब की मिनी फैक्ट्री का भंडाफोड़ होने से यह बात एक बार फिर साबित हो गई है। सवाल उठ रहे हैं कि आबकारी विभाग नकली शराब के इस धंधे की बू को क्यों नहीं सूंघ सका।

फाइल फोटो: आबकारी विभाग

सवाल यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने अधीन आने वाले आबकारी महकमे से इस पर जवाब लेंगे..?? कुल मिलाकर गनीमत रही कि पुलिस की मुस्तैदी से दीपावली से पहले नकली शराब के धंधे का भंडाफोड़ हो गया और लोगों के हलक में उतरकर प्राण लेने से पहले ही पुलिस ने मिलावटी शराब का जखीरा पकड़ लिया। अन्यथा दीपावली की खुशियां मातम में तब्दील होनी तय थी।
————————————–कुंभनगरी में नकली शराब का जखीरा उतारने की पूरी प्लानिंग कर ली गई थी। कैमीकल से नकली शराब की खेप तैयार की जा रही थी, यह साफ हो चुका है। शराब की खेप भी एक ठेके पर सेल्समैन रहा आरेपी रवि सैनी तैयार कर रहा था ऐसे में आबकारी महकमे के लचीले नेटवर्क की तस्वीर पूरी तरह साफ है।

फाइल फोटो

हरिद्वार पुलिस की माने तो बिहार शराब कांड यहां भी घटित हो सकता था, अगर आरोपी पकड़ में नहीं आते। उनकी बनाई शराब से आमजन की जान को खतरा था, यह भी साफ हो चुका है। पर, आबकारी विभाग केवल अपने घिसे पिटे दावे तक ही सिमटकर रह गया है।
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आबकारी इंस्पेक्टर ने कैसे लगाई हैट्रिक…….हरिद्वार सर्किल में तीसरी दफा पोस्टिंग पाने वाले आबकारी निरीक्षक संजय रावत अपनी जिम्मेदारी को लेकर कितने संजीदा है, इसकी पोल भी खुलकर सामने आ गई है। कई साल से हरिद्वार में जमे आबकारी निरीक्षक का नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त है, फिर भी वह बार बार हरिद्वार सर्किल में क्यों पोस्टिंग पाना चाहते हैं, यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

फोटो: हरिद्वार

आखिर हरिद्वार सर्किल में तैनाती के पीछे क्या वजह है, यह भी साफ होना चाहिए। तीसरी दफा पोस्टिंग लेने के बाद भी आबकारी निरीक्षक संजय रावत अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़ पाने में असफल रहे , यह उनकी कार्यशैली को दर्शाने के लिए काफी है। अगर कोई अनहोनी हो जाती तो भला कौन जिम्मेदार होता। सीएम इस विभाग के मुखिया है, ऐसे में उन्हें लापरवाह अफसरान के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए, वरना आमजन में खौफ का घर करना लाजिमी है।

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