अपराधहरिद्वार

कछुआ चाल से क्यों हुआ मतदान, भारी अव्यवस्थाओं का जिम्मेदार कौन, पुलिस की लाठियों में दब गए कई सवाल..

सुबह से ही मिल रही थी धीमे मतदान की शिकायतें, खानापूर्ति करते रहे अधिकारी, शाम तक लाइन में लगने के बाद मतदाताओं को मिली लाठियां..

इस खबर को सुनिए

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: निकाय चुनाव में गुरुवार की सुबह से ही हरिद्वार, रुड़की, मंगलौर, लक्सर, भगवानपुर से मतदान की रफ्तार धीमी होने की शिकायतें मिलने लगी थी। दिन भर कछुआ चाल से मतदान हुआ और पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की लाइने जस की तस लगी रही। सेक्टरों में तैनात अधिकारी शिकायतों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकालते रहे। शाम के समय वही हुआ, जिसकी सुबह से आशंका थी। व्यवस्था बनाने के नाम पर पुलिस ने जमकर लाठियां फटकारी। घन्टों लाइन में लगने के बाद हजारों मतदाता लाठियां खाकर घर लौट गए। मतदान की भारी अव्यवस्थाओं के पीछे होमवर्क की कमी रही या फिर कोई और रणनीति थी। ऐसे तमाम सवाल पुलिस की लाठियों के पीछे दब गए। फिलहाल हर तरफ लाठीचार्ज का शोर है। आखिर वो कौन हैं, जिसने मंगलौर के बाद एक बार फिर पुलिस को जनता के सामने विलेन बनाकर खड़ा कर दिया है। चुनाव जैसे तैसे संपन्न हो जाने हैं, पर आम नागरिक के मन में मित्र पुलिस की ऐसी छवि भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
————————————
प्रत्याशियों को भी नही बख्शा…..गुरुवार को हुए मतदान की कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एक वीडियो जो रुड़की के सामने आई है, जिसमे भारी भीड़ पर पुलिस ने लाठियां फटकारी।इस दौरान वार्ड मैम्बर प्रत्याशी समेत मेयर प्रत्याशी पति और नगर के बड़े नेताओं को भी नही बख्शा गया। बल्कि पार्षद पद के निर्दलीय प्रत्याशी को बुरी तरह धक्के देकर भगाया और पूर्व मेयर यशपाल राणा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष चौ. राजेंद्र के साथ धक्का मुक्की की गई। लाठियां बरसने के बाद घंटो से लाइनों में लगें मतदाता अपने आपको बचाने के लिए भाग खड़े हुए, घटना के बाद मीडिया से मुखातिब यशपाल राणा ने कहा भाजपा सरकार लोकतंत्र का गला घोटना चाहती है।।वह हार से घबरा गई है इसलिए लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है। लाठीचार्ज की घटना निंदनीय है। हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
————————————
मताधिकार हनन का जिम्मेदार कौन………लाठी चार्ज से पहले जिले भर के अलग-अलग बूथों पर हजारों लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लाइनों में लगे हुए थे। लेकिन लाठी चार्ज होने से ऐसी अपरा तफरी मची की लोगों ने वोट डालने के बजाय अपनी जान बचाने में भलाई समझी। भगवानपुर में तो गजब ही मामला सामने आया। निर्वाचन कर्मचारी लाइन में लगे मतदाताओं को पर्ची बांट चुके थे। लेकिन आरोप है कि पुलिस ने उन्हें अंदर ही नहीं घुसने दिया। यह बात समझ से परे है। बड़ा सवाल ये है कि इन हजारों लोगों के मताधिकार हनन का जिम्मेदार कौन है।
————————————–
गलती किसकी..? सजा जनता को…….पोलिंग बूथ के चयन को लेकर भी भारी लापरवाही सामने आई। कई क्षेत्रों में हजारों की संख्या में मतदाता होने के बावजूद बहुत छोटे मतदान केंद्र बनाए गए। मतदाताओं के लाइन लगाने के लिए भी जगह नहीं थी। मतदाताओं के साथ-साथ निर्वाचन कार्मिकों और पुलिस ने भी व्यवस्था बनाने के लिए मशक्कत का सामना किया। इसमें होमवर्क की कमी साफ नजर आई। गलती भले ही किसी स्तर पर हुई हो, मगर उसकी सजा मतदाताओं को मिली है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
error: Content is protected !!