पंच👊नामा ब्यूरो
हरिद्वार: पुलिस के नए-नए कारनामों को लेकर हरिद्वार जिला अक्सर प्रदेश भर में सुर्खियां बटोरता है। इन दिनों जिले का एक “मलाईदार थाना पूरे पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ। दरअसल, इस थाने का “निजाम आजकल एक सिपाही के हाथ में है। यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लगेगी। लेकिन सोलह आने सच है।
ऐसा नहीं है कि थाने में एसओ की पोस्टिंग नहीं है। बल्कि पूरा अमला होने के बावजूद एक सिपाही पूरे थाने को चला रहा है। सिपाही के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई महीने पहले ट्रांसफर और रवानगी के बावजूद सिपाही इसी थाने में कुंडली जमाए पड़ा है। सिपाही का “दिल है कि शहर में मानता ही नहीं। इसे जंगल में ही सुकून आता है।
अब थाना क्षेत्र की नदियों का हाल तो पूछिये ही मत। दिन ढलते ही जेसीबी और पोकलैंड मशीने नदियों का सीना चीरने उतरती हैं तो सुबह उजाला होने पर ही बाहर निकलती हैं। “दाल में काला होने की कहावत तो फिर भी ठीक है, लेकिन अगर पूरी दाल ही काली हो जाए तो बदहजमी होना लाजमी है। सूत्र बताते हैं कि खनन की खन-खन से होने वाली “इनकमिंग से लेकर “आउटगोइंग तक का पूरा जिम्मा “सर्व अधिकार संपन्न सिपाही के हाथ में है। इसलिए सबको हिदायत है कि कोई जेब से कोई हाथ नहीं निकालेगा। हाल यह है कि सिपाही दिन को अगर रात कहे, तो रात और रात को अगर दिन कहे तो दिन कहना मजबूरी है।
लेकिन सवाल यह है कि अगर एक सिपाही को ही थाने का पूरा प्रबंधन संभालना है तो फिर थानेदार की ज़रूरत क्या है। ऐसी व्यवस्था से तो अच्छा है, पूरा थाना सिपाही को पीपीपी मोड में ही क्यों ना दे दिया जाए। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को “उल्टी गंगा” की भनक नहीं है। सवाल यह है कि सब कुछ जानने और सुनने के बावजूद आला अधिकारी खामोश क्यों बने हुए हैं। आख़िर क्यों एक थानेदार सहित पूरे स्टाफ को एक सिपाही के हाथ की कठपुतली बना दिया गया है। इसको लेकर पूरे पुलिस महकमे में जोर-जोर से चर्चाएं हो रही हैं। समझ नहीं आता बड़े कानों तक यह गूंज क्यों नहीं पहुंच रही है।
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पीपीएस, आईपीएस तक तरफ, सिपाही का जलवा दूसरी तरफ…….
हरिद्वार: सिपाही का इकबाल इतना है कि पीपीएस और आईपीएस अधिकारी एक तरफ और चर्चित सिपाही का जलवा दूसरी तरफ। पूरे जिले में हजारों सिपाहियों में एक अदद सिपाही की गिनती बिल्कुल अलग होती है। कई साहब तो सिपाही को बेहद नजदीक से जानते हैं। क्योंकि लक्ष्य को प्राप्त करने वाले लोग हमेशा ही अपनी अलग पहचान रखते हैं। जब कई हाथ सिर पर हैं तो मजाल है कोई नीचे या ऊपर से हरकत कर दे। ट्रांसफर पोस्टिंग के नियम तो आम पुलिस कर्मियों के लिए होते हैं, इन जनाब के लिए सारे नियम काफूर हैं। यही वजह है कि सिपाही जब चाहता है, जिस थाने में चाहता है, वहां पोस्टिंग ले गिरता है।