“महिला हेल्पलाइन प्रभारी अंशु चौधरी बनी सहारा: जिनकी समझदारी से सुलझे सैकड़ों पारिवारिक विवाद, कई टूटते परिवारों को मिला नया जीवन..

पंच👊नामा
योगेश शर्मा, हरिद्वार: महिला हेल्पलाइन प्रभारी उप निरीक्षक अंशु चौधरी ने पदभार संभालने के बाद से लगातार ऐसे मामलों को प्राथमिकता दी है, जिनमें परिवारिक विवाद और आपसी मतभेद के कारण महिलाएं परेशान होती हैं। उनका कहना है कि महिला हेल्पलाइन का उद्देश्य सिर्फ शिकायत दर्ज करना नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में ठोस पहल करना भी है।समझदारी से सुलझते विवाद…..
हेल्पलाइन में आने वाले मामलों में सबसे पहले पीड़ित महिला या परिवारजन की बात धैर्यपूर्वक सुनी जाती है। उसके बाद दोनों पक्षों को बैठाकर समझाने का प्रयास किया जाता है कि छोटी-छोटी बातों पर घर-परिवार न टूटे। अंशु चौधरी बताती हैं कि अधिकतर मामलों में बातचीत से रास्ता निकल आता है और लोग फिर से साथ रहने को राजी हो जाते हैं।बच्चों के भविष्य पर असर…….
अंशु चौधरी का कहना है कि परिवार टूटने का सबसे बड़ा नुकसान बच्चों को उठाना पड़ता है। बचपन में पैदा होने वाले तनाव और असुरक्षा की भावना उनके भविष्य को प्रभावित करती है। इसलिए महिला हेल्पलाइन में यह कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक मामले आपसी बातचीत और समझदारी से सुलझाए जाएं।कई परिवार टूटने से बचे…..
महिला हेल्पलाइन टीम के प्रयासों से अब तक कई परिवार टूटने से बचे हैं। ऐसे परिवार आज सामान्य जीवन जी रहे हैं और अपने बच्चों के साथ खुशहाल माहौल में रह रहे हैं। हेल्पलाइन से जुड़े कर्मचारी भी इन मामलों में पूरी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करते हैं।समय की पाबंदी पर जोर……
प्रभारी अंशु चौधरी ने बताया कि हेल्पलाइन में समय की पाबंदी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी कर्मचारियों को समय पर कार्यालय पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी भी पीड़ित को अनावश्यक परेशानी न हो और उसकी समस्या का तुरंत समाधान हो सके।अनुभव का लाभ……
गौरतलब है कि अंशु चौधरी इससे पहले कोतवाली मंगलौर, कोतवाली रुड़की गंगनहर, थाना झबरेड़ा और थाना कलियर सहित कई थानों में सेवाएं दे चुकी हैं। वहां के अनुभव का लाभ अब वह हरिद्वार महिला हेल्पलाइन में कर रही हैं।