
पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान साल 1994 में हुए रामपुर तिराहा पर हुए गोलीकांड में एक दर्जन से ज्यादा आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सभी 23 आरोपियों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन मार्च निर्धारित की है।

उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर एक अक्टूबर, 1994 की रात आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर में छपार थानाक्षेत्र के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। इस दौरान महिला आंदोलनकारियों से अभद्रता भी हुई थी। शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस ने की थी, लेकिन 1995 में केस सीबीआइ के हाथ में चला गया।

सीबीआइ ने तत्कालीन डीएम और एसएसपी समेत पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को आरोपी बनाया था। सुनवाई के दौरान कई आरोपियों की मौत हो चुकी है। हाल ही में हाई कोर्ट ने रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह कोर्ट संख्या सात को नामित किया था।

खबरों के मुताबिक, मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड वासियों के अधिवक्ता केपी शर्मा और सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक भी कोर्ट में पेश हुए। उधर, मामले में आरोपी बनाए गए पुलिसकर्मियों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में हाजिरी माफी भेजी।

लेकिन कोर्ट ने हाजिरी माफी खारिज करते हुए सभी के गैर जमानती वारंट जारी कर दिए हैं। एडीजीसी परविंद्र कुमार ने बताया कि हाजिरी माफी का विरोध किया गया। इसके चलते कोर्ट ने हाजिरी माफी खारिज कर दी। कोर्ट ने सभी को आगामी तीन मार्च को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।