“तीन साल बाद मां की गोद में लौटी मासूम… भावनाओं से भीगा वो पल, जब थम गया कोतवाली का माहौल..
देहरादून की मेघा बोरा को अदालत के आदेश पर मिली अपनी तीन साल की बेटी, मां-बेटी के मिलन ने सबकी आंखें नम कर दीं..

पंच👊नामा
जगदीश प्रसाद शर्मा देशप्रेमी, रुड़की: तीन साल बाद मां की गोद में लौटी मासूम बेटी…! उस पल की तस्वीर ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। देहरादून निवासी मेघा बोरा ने जब अपनी नन्ही बच्ची को सीने से लगाया तो खुशी और दर्द दोनों की लहर एक साथ उमड़ पड़ी। अदालत के आदेश पर पुलिस ने बेटी को मां की सुपुर्दगी में दिलाया। मां-बेटी के मिलन का यह भावनात्मक दृश्य देखकर कोतवाली परिसर का माहौल भी कुछ देर के लिए थम-सा गया।देहरादून निवासी मेघा बोरा की शादी करीब पांच साल पहले रुड़की सिविल लाइंस निवासी समीर त्यागी से कोर्ट मैरिज के माध्यम से हुई थी। शुरुआती दिनों में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच मनमुटाव बढ़ने लगा। रिश्तों की दरार इतनी गहरी हुई कि दोनों अलग हो गए। इस बीच उनकी तीन साल की बेटी को पिता ने अपने पास रख लिया और मां से मिलने तक नहीं दिया।
अपनी बच्ची को वापस पाने के लिए मेघा ने कई बार समझौते और सामाजिक प्रयास किए, पर नतीजा कुछ नहीं निकला। अंततः मजबूर होकर उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया। लंबे कानूनी संघर्ष और सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश जारी किया कि बच्ची को उसकी मां की सुपुर्दगी में दिया जाए।
आदेश का पालन करते हुए दारोगा नरेंद्र राठी ने बच्ची को मां को सौंपा। जैसे ही बेटी मां की गोद में आई, मेघा बोरा की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली। उन्होंने बेटी को सीने से कसकर लगाया और देर तक फूट-फूटकर रोती रहीं।
मेघा ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए थानों, अदालतों और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाए, कई बार निराशा हाथ लगी, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। “आज मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी मुझे मिल गई है,” — इतना कहते हुए उनकी आवाज रुआंसी हो गई।
कोतवाली प्रभारी मनीष उपाध्याय ने बताया कि अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए बच्ची को उसकी मां के सुपुर्द किया गया। उन्होंने कहा कि जब बेटी अपनी मां की गोद में गई तो वह स्वयं भी भावुक हो उठे। मां-बेटी का यह मिलन इंसानियत और इंसाफ की मिसाल बन गया। आसपास खड़े लोगों ने कहा कि यह क्षण बताता है कि मां और बच्चे के बीच का रिश्ता किसी आदेश से नहीं, बल्कि दिल से बंधा होता है।