हरिद्वार

ऋषिकुल विद्यापीठ की बेशकीमती भूमि पर बड़ा खेल, जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश..

परिषद का परवाना पहुंचने से पहले ही बदल गया मालिकाना हक, प्रॉपर्टी डीलर की गहरी साज़िश..!

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था की करोड़ों की बेशकीमती भूमि को लेकर एक बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। राजस्व परिषद के फैसले का परवाना स्थानीय प्रशासन तक पहुंचने से पहले ही राजस्व अभिलेखों में किसी अन्य का नाम दर्ज कर दिया गया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया है। जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए विभागीय जांच बैठा दी है।
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भूमाफियाओं की गहरी साजिश….!विकास कॉलोनी स्थित ऋषिकुल विद्यापीठ की इस भूमि पर भूमाफियाओं की कड़ी नजर थी। अलग-अलग लोग समय-समय पर इस संपत्ति पर स्वामित्व का दावा पेश करते रहे हैं और राजस्व परिषद में अपनी दावेदारी ठोकते रहे हैं। हाल ही में, परिषद ने भूमि संबंधी दाननामा न मिलने के आधार पर संस्था के खिलाफ फैसला सुनाया और चुनौती देने वाले पक्ष को सही ठहराया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, परिषद के फैसले का आधिकारिक परवाना जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचने से पहले ही तहसील प्रशासन ने किसी अन्य व्यक्ति के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दिया। यह जल्दबाजी कई सवाल खड़े करती है। सवाल यह भी है कि जिलाधिकारी, जो स्वयं इस संस्था के प्रशासक हैं, उनसे बिना सलाह-मशविरा किए तहसील प्रशासन ने यह बड़ा फैसला आखिर क्यों लिया..?
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बड़े अफसर और प्रॉपर्टी डीलर का गठजोड़…?सूत्रों के मुताबिक, इस खेल में हाल ही में नौकरी में आए एक राजपत्रित अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। आरोप है कि इस अधिकारी ने एक प्रॉपर्टी डीलर से मिलीभगत कर यह पूरा खेल रचा। चर्चा यह भी है कि इस खेल में “छोटे साहब” ने जमकर मलाई चाटी और उनकी शह पर यह गड़बड़ी की गई। बताया जा रहा है कि शहर का एक कुख्यात प्रॉपर्टी डीलर गुप्ता, जो पिता-पुत्र की जोड़ी के रूप में विवादित जमीनों के मामलों की डीलिंग करता है, इस साजिश का मुख्य किरदार है। ये लोग खुलेआम खुद को “छोटे साहब” का करीबी बताकर दलाली कर रहे हैं और विवादित संपत्तियों को लेकर खुलेआम सौदेबाजी कर रहे हैं।
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क्या दोषियों पर होगी कार्रवाई…?जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने साफ कर दिया है कि बिना परवाना पहुंचे भूमि का स्वामित्व बदलना गंभीर मामला है और इसकी गहन जांच कराई जाएगी। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस गड़बड़ी में शामिल दोषियों पर कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा..? अब देखना दिलचस्प होगा कि इस भ्रष्टाचार की परतें कितनी गहरी जाती हैं और जिलाधिकारी इस पर क्या सख्त कदम उठाते हैं!

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