हरिद्वार

दरगाह के खातों में करोड़ों की रकम, गोलकें भरने वाले ज़ायरीन ज़रूरी सुविधाओं के मोहताज..

एक दशक से अधूरी पड़ी मस्जिद, बारिश में जलभराव से दरगाह की बेहुरमती, पीने के पानी का भी संकट, जिम्मेदार कौन..??

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पंच👊नामा
पिरान कलियर: विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर के पास करोड़ो रूपये होने के बावजूद, यहां कि महत्वपूर्ण जरूरतें दरगाह प्रबंधन की ओर लंबे समय से मुंह ताक रही है। चूंकि एक-एक दिन गुजरने के साथ ही दशकों गुजर गए है, लेकिन यहां की ज़रूरतों का आभाव बना ही चला आ रहा है।

फाइल फोटो

दरगाह क्षेत्र में विकास कार्य तो दूर की बात यहां कि पेयजल व निकासी से लेकर साबरी जामा मस्जिद का अधूरा निर्माण प्रबंधन व्यवस्था के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।

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देश दुनियां में धर्मिक स्थल के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाली दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक (रह.) पिरान कलियर जहा दुनियाभर से जायरीन (श्रद्धालु) बड़ी आस्था के साथ हाजिरी करने के लिए आते है, यहां की प्रबंधन व्यवस्था उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन लंबे समय से सँभाले हुए है।

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दरगाह की प्रबंध व्यवस्था से लेकर आय/व्याय तक का सारा जिम्मा प्रशासन के अधिकारियों के हाथ में है। दरगाह को विभिन्न स्रोतों से प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये की आय होती रहती है। सूत्रों के अनुमान के अनुसार दरगाह के पास वर्तमान समय मे करीब 50 करोड़ रुपये बैंक खातों में पड़े हुए है।

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जबकि करोड़ो रूपये सालाना खर्च होना भी सुनने में आता रहता है, बिडम्बना देखिए कि जो दरगाह की मूलभूत जरूरतें है वह दशकों से दरगाह प्रबंधन की अनदेखी का शिकार बनी हुई है और ऐसा भी कोई संकेत वर्तमान समय मे नही दिखाई देता की इस ओर दरगाह प्रबंधन ध्यान देने का प्रयास कर रहा हो।
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गंदे पानी से दरगाह की बेहुरमती…….

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बरसात के मौसम में जब भी अधिक बारिश होती है तभी दरगाह परिसर में क्षेत्र का गंदा पानी तैरता हुआ दिखाई पड़ता है। जिससे दरगाह की बेअदबी तो होती ही है साथ ही अकीदतमंदों में रोष व्याप्त होता है।

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ऐसा एक या दो बार नही बल्कि गत समय कई बार ये होता दिखाई दिया है, जिसके बाद इसके रोकथाम की चर्चाएं जोर पकड़ी है लेकिन समस्या के निदान के लिए कोई कार्यवाही धरातल पर नजर नही आती। आज भी स्थिति ज्यूँ की त्यू बनी हुई है।
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पेयजल व्यवस्था से जूझते जायरीन…..

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आने वाले जायरिनों को दरगाह में पहुचने के साथ ही पेयजल समस्या से जूझना पड़ता है। अक्सर जायरीन को वुजू करने के लिए पानी के आभाव का सामना करना पड़ता है।

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इसके साथ ही दरगाह क्षेत्र में बनी बड़ी पानी की टँकी अपने निर्माण काल से ही लिकीज का शिकार है, जिसकी वजह से दरगाह में पानी आपूर्ति मुकम्मल नही रह पाती।
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अधूरे निर्माण कार्य……

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उत्तराखंड की सबसे बड़ी जामा मस्जिद कहलाए जाने वाली “कलियर दरगाह की साबरी जामा मस्जिद” भी लगभग एक दशक से मुकम्मल निर्माण की बाट जोह रही है। मस्जिद का अधूरा निर्माण नमाजियों के लिए परेशानी का सबब बनता है।

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बारिश के दौरान मस्जिद के बेसमेंट में पानी भरना और मस्जिद की छत से पानी तकपना आजतक बंद नही हो पाया। इसके साथ ही कलियर क्षेत्र में बनाई गई पार्किंग की चार दिवारी, कब्रिस्तान की साफ सफाई, दरगाह क्षेत्र की सड़कें आदि व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।
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जायरिनों की सहूलियत की कीमत….

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पिरान कलियर आने वाले जायरिनों के लिए प्रबंध व्यवस्था कितनी चाकचौबंद है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जायरिनों को जूता चप्पल रखाई से लेकर शौचालय तक के लिए कीमत अदा करनी पड़ती है। दरगाह प्रबंधन ने जायरिनों की सहूलियत के लिए दावे तो किए लेकिन हवा हवाई साबित रहे।

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मध्यम वर्ग के जायरीन जो कुछ घण्टों के लिए पिरान कलियर आते है उनके ठहरे की उचित व्यवस्था तक नही है, जबकि रैनबसेरा और महफ़िल खाना लंबे समय से पड़े लोगों ने कब्जा किया हुआ है।
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दुर्गंध से होता है स्वागत……

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दूर दराज से आने वाले जायरीन जब कलियर पहुँचते है तो बदबूदार दुर्गंध से सामना करना पड़ता है, इसकी वजह पुरानी गंगनहर जो वर्तमान समय मे बंद पड़ी है, उसमे गंदगी का अंबार लगा हुआ भी है साथ ही रास्ते मे बने शौचालय जिनकी देखरेख नही हुई और वह गंदगी से अटे हुए है। निःशुल्क शौचालय ना होने के कारण सड़को किनारे शौच करने का मामला भी आजतक यहां बंद नही हो पाया।

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