पालिकाध्यक्ष की संपत्ति व आय की जांच की मांग, नगर पालिका शिवालिक नगर में भ्रष्टाचार का आरोप..
निर्दलीय सभासद अमरदीप सिंह रॉबिन ने 22 जून को धरना-प्रदर्शन और आंदोलन की दी चेतावनी, (देखें वीडियो)..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: नगर पालिका शिवालिक नगर के सभासद अमरदीप सिंह रॉबिन ने पालिकाध्यक्ष की संपत्ति और आय के स्रोतों की सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी से जांच कराने की मांग की है। साथ ही नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ 22 जून को धरना-प्रदर्शन और आंदोलन का ऐलान किया है। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सभासद रॉबिन ने आरोप लगाया कि नगर पालिका भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। अधिकारी अपने हिसाब से फाइलें आगे बढ़ाते हैं और पारदर्शिता का अभाव है।
जिला अधिकारी के हस्तक्षेप से बुलाई गई बोर्ड बैठक की कार्यवाही तक अभी तक सभासदों को उपलब्ध नहीं कराई गई है। रॉबिन ने कहा कि पालिका में फर्जी टेंडर जारी कर बिना काम कराए ठेकेदारों को भुगतान किया गया।
जो सभासद विरोध करते हैं, उनके वार्डों में सफाई और अन्य मूलभूत विकास कार्य भी रोक दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल, कूड़ा निस्तारण और आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए कोई नीति या योजना लागू नहीं की गई है।
नगर क्षेत्र में सड़कों की हालत जर्जर हो चुकी है, सीवर लाइनें ओवरफ्लो हो रही हैं और पेयजल संकट गंभीर रूप ले चुका है।
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सात सूत्रीय मांग पत्र किया जारी……सभासद अमरदीप सिंह रॉबिन ने इस मौके पर एक सात सूत्रीय मांग पत्र भी जारी किया, जिसमें निम्न मांगें शामिल हैं।
1:-पालिकाध्यक्ष की संपत्ति और आय के स्रोतों की एसआईटी जांच (सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में)।
2:- बीएचईएल क्षेत्र में लगाए गए यूनिपोल की वैधता की जांच व जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई।
3:- भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदारों की सूची सार्वजनिक की जाए।4:- बोर्ड बैठक की कार्यवाही सभी सभासदों को दी जाए।
5:- कूड़ा प्रबंधन और पेयजल आपूर्ति नीति को सार्वजनिक किया जाए।
6:- पालिकाध्यक्ष द्वारा सभासदों और जनता के प्रति अभद्र भाषा व व्यवहार पर रोक लगे।
7:- नगर पालिका की कार्यप्रणाली में आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। प्रेसवार्ता के दौरान सभासद तरुण व्यास, मोहित डिमरी, अतुल गोसांई, गौतम राणा, हिमांशु रावत और शिशुपाल पोखरियाल भी मौजूद रहे। सभी ने आंदोलन के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि यह लड़ाई सिर्फ जनप्रतिनिधियों की नहीं, बल्कि जनता की अधिकारों की है।