कलियर क्षेत्र में सुविधाओं की दरकार और मदरसों को हाईटेक करने के लिए दरगाह से मांगे जा रहे पांच करोड़..
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा सीईओ का पत्र, अकीदतमंदों ने उठाए सवाल, कलियर में जायरीनों की सहूलियत पर खर्च हो दरगाह का पैसा..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर से उत्तराखंड वक्फबोर्ड ने मदरसों को मॉडल मदरसों के रूप विकसित करने के लिए जिलाधिकारी हरिद्वार से पांच करोड़ रुपये मांगे है।

इस संबंध में उत्तराखंड वक्फबोर्ड के सीईओ का एक पत्र जो जिलाधिकारी हरिद्वार के नाम लिखा गया है सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि ये पत्र बीती 12 फरवरी का है लेकिन अभी तक जिलाधिकारी कार्यालय नही पहुँच पाया। जिलाधिकारी हरिद्वार ने बताया इस तरह का कोई पत्र उन्हें नही मिला है।

वायरल पत्र में लिखा गया है कि उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड की बैठक 17 अगस्त 2023 में वक्फ सम्पत्तियों में स्थित मदरसों को मॉडल मदरसों के रूप में विकसित किए जाने के लिए चार मदरसों का चयन किया गया है, जिनमे देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और खटीमा के मदरसे व नैनीताल में जामा मस्जिद और मदरसा, रामनगर, जिनको पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।

चयनित मदरसों में उच्च कोटि की शिक्षा जिसमें उत्तराखण्ड शिक्षा परिषद् द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व शिष्टाचार के साथ-साथ अन्य शिक्षा भी प्रदान किए जाने का लक्ष्य है, जिसमें निम्न वर्गों के छात्र-छात्राओं को देश की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके और मध्यम वर्ग के छात्र-छात्राओं को भी लाभान्वित किये जाने के लिए उच्च कोटि की आधार भूत संरचना एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।

पत्र में लिखा है कि दरगाह पिरान कलियर वक्फ सम्पत्ति है और उसका उद्देश्य समाज के निम्न वर्गों को लाभ पहुंचाना है। वर्तमान में दरगाह के खातों में दरगाह की आवश्यकताओं से काफी अधिक धनराशि रक्षित है। जिसका सदुपयोग वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तावित उक्त मॉडल मदरसों में किया जा सकता है।

मदरसों को विकसित किए जाने के लिए उनमें NCERT पाठ्यक्रम के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा, छात्र-छात्राओं के लिए कम्पयूटर उपकरण, फर्नीचर उच्च कोटि के कक्षा कक्षों की व्यवस्था की जानी है, जिसके लिए हेतु लगभग पांच करोड की धनराशि व्यय होने का अनुमान है।

इसलिए वक्फ दरगाह पिरान कलियर के कोष से मॉडल मदरसों को विकसित किए जाने के किए उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड को पांच करोड की धनराशि अवमुक्त किए जाने के सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने का कष्ट करें। ये पत्र बीती 12 फरवरी का है जो सोशल मीडिया पर वायरल है। इस संबंध में जिलाधिकारी हरिद्वार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया इस तरह का कोई पत्र उन्हें नही मिला है।
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दो बार पहले भी दरगाह के कोष से मांगे गए है पैसे……

कोविड कॉल के दौरान दरगाह के कोष से 10 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री फंड में जमा कराने का मामला भी प्रकाश में आचुके है, उससे पूर्व कलियर विधायक ने दरगाह कोष से रामपुर स्थित एक मदरसे, स्कूल के लिए पैसों की डिमांड की थी, तक अकीदतमंदों के विरोध पर इन मामलों पर रोक लग पाई थी। अकीदतमंदों का कहना था कि दरगाह में जमा पैसों को पिरान कलियर दरगाह व आने वाले जायरीनों की व्यवस्थाओं के लिए खर्च किया जाना चाहिए।
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दरगाह क्षेत्र और दरगाह की व्यवस्थाओं में लगें जमा पैसा…..

अकीदतमंदों का कहना है कि दरगाह शरीफ में बरसात के मौसम में बारिश का गन्दा पानी भर जाता है जिससे दरगाह की बेहुरमती होती है, इसके अलावा साबरी जामा मस्जिद का अधूरा निर्माण, क्षेत्र की साफ सफाई, पानी, सड़क आदि व्यवस्थाए दुरुस्त करने के लोई दरगाह का पैसा खर्च होना चाहिए। मदरसों के उच्चीकरण (मॉडल) को लेकर सरकार या मदरसा बोर्ड काम करे।