हरिद्वार

13 साल तक मृत बहन को जिंदा बताकर रेलवे को पेंशन की चपत लगाता रहा भाई..

आरपीएफ इंटेलिजेंस की जांच में बेनकाब हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा, रेलवे और बैंक अधिकारियों की भूमिका पर सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: 13 साल पहले मर चुकी अपनी बहन को जीवित बताकर उसका भाई अपने बाप की पेंशन हजम करता रहा। मामला रेलवे विभाग का है। हैरानी की बात यह है कि रेलवे अधिकारी आंख मूंदकर 13 साल तक पेंशन भेजते रहे और बैंक अधिकारी रकम निकालकर देते रहे। आरपीएफ इंटेलिजेंस की जांच में जब यह फर्जीवाड़ा सामने आया तो रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया। मामले में जांच रिपोर्ट रेलवे के आला अधिकारियों को सौंप दी गई है और जल्द ही आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की तैयारी है।
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गोपनीय शिकायत पर खुली पोल…..लक्सर के आदर्श नगर निवासी एक व्यक्ति ने रेलवे के उच्चाधिकारियों को गोपनीय शिकायत भेजी थी, जिसमें बताया गया कि एक स्थानीय व्यक्ति अपनी मृत बहन के नाम पर वर्षों से पेंशन ले रहा है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आरपीएफ की इंटेलिजेंस टीम ने लक्सर में तीन दिन तक डेरा डालकर जांच की। तब सामने आया कि 2003 में रेलवे में कार्यरत एक ड्राइवर की मौत के बाद उनकी दिव्यांग बेटी ने पेंशन पर दावा किया था। कोर्ट के आदेश के बाद बेटी को पिता की पेंशन मिलने लगी। लेकिन 2012 में दिव्यांग महिला की मृत्यु हो गई। इसके बावजूद उनके नाम पर पेंशन जारी रही। दस्तावेजों में महिला की नॉमिनी उसके भाई की पत्नी थी, जिसका फायदा उठाकर महिला का भाई उसे जीवित दिखाते हुए पेंशन लेता रहा।
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रेलवे अधिकारियों की भूमिका पर सवाल….इस मामले ने रेलवे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में सामने आया कि 13 साल तक रेलवे अधिकारियों ने मृत महिला के नाम पर पेंशन जारी की, लेकिन कभी भी जीवित प्रमाण पत्र नहीं मांगा गया। न ही इस दौरान किसी प्रकार की क्रॉस वेरिफिकेशन की गई, जिससे पेंशन फर्जी तरीके से मिलती रही।
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बैंक ने भी निभाई ‘चुप्पी’, नहीं मांगा प्रमाण पत्र….फर्जीवाड़े की जड़ें सिर्फ रेलवे तक सीमित नहीं हैं। आरपीएफ इंटेलिजेंस की टीम ने संबंधित बैंक से भी दस्तावेज खंगाले तो पाया कि 2012 से 2024 तक किसी भी वर्ष मृत महिला के जीवित होने का प्रमाण बैंक के पास मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं, बैंक खाते में मृतक का आधार कार्ड तक लिंक नहीं पाया गया। इससे बैंककर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।

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