आईजी के तबादला आदेश राजधानी में ही धड़ाम, दो इंस्पेक्टर, एक दारोगा को मिली और अच्छी पोस्टिंग..
खुद डेट फिक्स करने के बाद भी धुरंधरों को नहीं हिला पाए आईजी, हरिद्वार में दो इंस्पेक्टरों को बनाया गया निशाना, उठ रहे सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: आईजी गढ़वाल रेंज राजीव स्वरूप के तबादला आदेश राजधानी में ही औंधे मुंह गिरकर धड़ाम हो गए। आईजी के आदेश का इससे बड़ा तमाशा क्या होगा कि 2 इंस्पेक्टर और एक दारोगा को रिलीव करने के बजाय और अच्छी पोस्टिंग दे दी गई। महकमें चर्चाएं हैं कि हरिद्वार जिले में केवल एक इंस्पेक्टर को टारगेट किया गया। बाकी इंस्पेक्टर इतनी बड़ी “चट्टान” निकले कि जिले से बाहर जाना तो दूर, उन्हें कोतवाली की कुर्सी से हिलाकर किसी दूसरे थाने की कुर्सी पर भी नहीं बैठाया जा सका।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आईजी के फरमान की अमल दरामद के लिए दो इंस्पेक्टरों की बलि चढ़ाई गई। सवाल केवल आईजी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने का ही नहीं है, बल्कि पीएचक्यू में तैनात आला अधिकारियों के हाथ पर हाथ बांधकर बैठने पर भी उठ रहे हैं।
————————————-आईजी राजीव स्वरूप ने पिछले दिनों हरिद्वार जिले से शहर कोतवाली प्रभारी कुंदन सिंह राणा, गंगनहर इंस्पेक्टर ऐश्वर्या पाल समेत कई दरोगाओं का आईजी ने तबादला करते हुए अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग कर दी। ठीक इसी तरह देहरादून में भी एसओ राजपुर पीडी भट्ट, इंस्पेक्टर कैंट कैलाश भट्ट और पटेल नगर कोतवाल इंस्पेक्टर प्रदीप राणा का भी गैर जनपद तबादला किया गया।
यही नहीं आईजी ने कप्तानों के अधिकार पर कुंडली मारकर खुद ही उनकी डेट भी फिक्स कर दी। लेकिन मजेदार बात यह है कि देहरादून में तीनों इंस्पेक्टर व दारोगा को रिलीव नहीं किया गया, बल्कि उन्हें नए स्थान पर तैनात कर आईजी के आदेशों की हवा निकाल दी गई।
एससो राजपुर पीडी भट्ट को एसओ सेलाकुई, इंस्पेक्टर पटेल नगर प्रदीप राणा को कोतवाली प्रभारी ऋषिकेश बनाया गया है, जबकि कैलाश भट्ट कैंट में ही डटे है। ऐसे में आईजी के आदेश का पालन किस तरह हुआ, इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है।
————————————-अभी तक शिक्षा विभाग में ही तबादलों को लेकर अजब गजब स्थिति रहती थी, लेकिन अब पुलिस विभाग ने तो शिक्षा विभाग को भी पीछे छोड़ दिया है। जुगाड़ू शिक्षकों की तरह पुलिस में एक में में रसूखदार इंस्पेक्टर आईजी को दोनों हाथों से मुंह चिढ़ा रहे हैं।
उनके आगे आईजी बेबस दिख रहे हैं। तबादला आदेश का ये हश्र होना था तो नियमों की दुहाई देकर चंद इंस्पेक्टर व दारोगाओं को रिलीव कराने का बीड़ा ही क्यों उठाया गया। यदि नियमों का ही पालन कराना था तो आदेशों की पतंग कैसे कट गई।