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12 साल की उम्र में सेवा की मिसाल बन गई मिष्ठी, दुनिया से जाकर भी दो नेत्रहीनों को दे गई रोशनी..

लाडली बिटिया के निधन पर भी डा. दीपेश चंद्र प्रसाद ने कायम रखा सेवा का जज्बा, पूरी धर्मनगरी कर रही सलाम..

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पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्यादातर लोग एक लंबी उम्र सिर्फ अपने लिए जीने के बाद यूंही दुनिया से चले जाते हैं। चंद लोग ऐसे होते हैं, जो कम उम्र में भी दूसरों की सेवा के लिए मिसाल कायम कर जाते हैं।

धर्मनगरी की 12 साल की बिटिया अभिप्रेरिता उर्फ मिष्ठी कुछ ऐसा ही कर गई। अभिप्रेरणा फाउंडेशन के सचिव डा. दीपेश चंद्र प्रसाद की बेटी अभिप्रेरिता अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी आंखों से दो नेत्रहीन व्यक्ति फिर से इस खूबसूरत दुनिया को देख सकेंगे।

लाडली बेटी का इतनी कम उम्र में निधन होने पर भावनाओं पर काबू रखकर कोई भी फैसला लेना एक पिता के लिए आसान नहीं होता, लेकिन मानसिक दिव्यांगों और गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए जीवन समर्पित करने वाले डा. दीपेश चंद्र प्रसाद ने बेटी के नेत्रदान का नेक कार्य करते हुए दूसरों को भी जनसेवा की राह दिखाई है।

पूरी धर्मनगरी उनके इस कार्य को सलाम कर रही है। अभिप्रेरणा फाउंडेशन मानसिक दिव्यांगों के लिए काम करने वाली हरिद्वार की एकमात्र संस्था है। मनोवैज्ञानिक डा. दीपेश चंद्र प्रसाद डेढ़ दशक से मानसिक दिव्यांगों और गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। पैनासोनिक के साथ मिलकर उन्होंने हरिद्वार जिले के 12 से अधिक सरकारी स्कूलों को गोद लेकर उनकी तस्वीर को संवारा है। डा. दीपेश के इस मिशन में उनकी पत्नी पिंकी प्रसाद और दोनों बेटियां काशवी प्रसादअभिप्रेरिता प्रसाद हर कदम पर साथ रही हैं।

छोटी बेटी अभिप्रेरिता का बीमारी के कारण बुधवार को निधन हो गया। बेटी की मौत के नाजुक वक्त में भी डा. दीपेश चंद्र प्रसाद ने हौंसला नहीं खोया, बल्कि समाजसेवा का संकल्प जारी रखते हुए अभिप्रेरिता की आंखे दान करने का फैसला लिया।
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“दूसरों की आंखों में जीवित रहेगी अभिप्रेरिता…….
अभिप्रेरिता पढ़ने लिखने में बेहद होशियार थी। संस्था के कार्यक्रमों में भी वह अपने माता-पिता व बड़ी बहन के साथ बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी।

पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य काफी ठीक था, किसी को दूर-दूर भी ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी। पढ़ने लिखने के साथ ही मिष्ठी को सिंगिंग का भी शौक था।

अपने आखिरी समय में भी वह हंसती-मुस्कुराती रही। मिष्ठी का चेहरा हर किसी की आंखों में घूम रहा है। अभिप्रेरणा फाउंडेशन व प्रसाद परिवार से जुड़ा हर एक शख्स ग़मज़दा है। बिटिया के याद आने पर डा. दीपेश चंद्र प्रसाद बार-बार फफक कर रो पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि बिटिया के नाम पर ही उन्होंने अभिप्रेरणा फाउंडेशन बनाया था। किडनी की बीमारी के चलते पिछले एक साल से अभिप्रेरिता का इलाज चल रहा था।

बिटिया के जाने का दुख शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं है, लेकिन डा. दीपेश व उनके परिवार को यह तसल्ली है कि नेत्रदान के कारण अभिप्रेरिता किसी नेत्रहीन का सहारा बनकर हमेशा जीवित रहेगी।
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“अस्पताल ने की परिवार की प्रशंसा…….
दधिचि देहदान समिति के सदस्य सुभाष चंद्र चांदना माध्यम से निर्मल आश्रम आई इंस्टीटयूट, ऋषिकेश से डॉ. हिमानी व सोहन सिंह ने शिवालिकनगर पहुंचकर अभिप्रेरता के कॉर्निया प्राप्त किए।

अभिप्रेरिता के नेत्रदान के जरिये दो लोग इस खूबसूरत दुनिया को फिर से देख पाएंगे। समिति और निर्मल आश्रम आई इंस्टीटयूट प्रशासन ने डा. दीपेश व उनके परिवार की प्रशंसा की। इनके अलावा शहर के कई सामाजिक संगठनों ने भी समाजसेवा की दिशा में अनुपम प्रयास बताया। दधिचि देहदान समिति आमजन से भी अपील है कि नेत्रदान का संकल्प लेकर 9410326582, 9411111675 9319247634,  9720004953 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

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