हरिद्वार

अधीक्षक ही नहीं, अधिकारी भी लापरवाह, 48 घंटे बाद भी किसी ने हरिद्वार आने की नहीं उठाई जहमत..

जेल से कैदी भागें या बंदियों में गैंगवार, मुख्यालय के अफसरों को नहीं कोई सरोकार, सीएम के अधीन विभाग की व्यवस्थाएं भगवान भरोसे..

इस खबर को सुनिए

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिला कारागार से कैदी भागने के मामले में अधीक्षक सहित स्टाफ की लापरवाही पर तो सवाल उठ ही रहे हैं, लेकिन जेल मुख्यालय के अधिकारी भी कम लापरवाह नहीं है। प्रदेश की सबसे बड़ी और संवेदनशील जेल से फिल्मी अंदाज में दो कैदी फरार होने की घटना पर जेल मुख्यालय के अधिकारी कितने गंभीर हैं।

फाइल फोटो: जिला कारागार हरिद्वार

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 48 घंटे बाद भी देहरादून से किसी अधिकारी ने चलकर हरिद्वार पहुंचने की जहमत नहीं उठाई हैं। जेल से कैदी फरार हों, उनके बीच गैंगवार हो या फिर बंदी रक्षकों व कैदियों के बीच मारपीट हो, देहरादून बैठे अधिकारियों को इससे कोई सरकार नहीं हैं।

फाइल फोटो: फरार कैदी

कई अधिकारियों का हाल तो यह है कि फोन उठाने के लिए भी राजी नहीं हैं। जिससे यह भी माना जा रहा है कि उनके पास जेल की सुरक्षा से जुड़े सवालों के जवाब नहीं हैं। कम से कम ऐसे अधिकारियों को संवेदनशील पदों पर नहीं होना चाहिए। ये हाल तब है, जबकि जेल विभाग किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन नहीं, बल्कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन आता है।
—————————————
कौन बन रहा अधीक्षक की ढाल…..

फाइल फोटो

जेल विभाग ने छह कर्मचारियों को सस्पेंड कर यह संदेश देने की नाकाम कोशिश की है कि लापरवाही पर कार्रवाई कर दी गई है। जबकि पूरे महकमे में यह चर्चाएं हैं कि पांच कर्मचारियों को नापकर अधीक्षक को बचाने का प्रयास किया गया है। अधीक्षक को बचाने के पीछे तर्क ये है कि वह अवकाश पर थे। लेकिन इस बचकाना बहाने से अधीक्षक की जिम्मेदारी व जवाबदेही खत्म नहीं हो जाती है। जेल में कैदी और स्टाफ मिलकर केवल उसी दिन रामलीला नहीं देख रहे थे। जिस सीढ़ी और पानी के पाइप का इस्तेमाल भागने में किया गया है, वो भी उसी दिन जेल में नहीं पहुंचे हैं।

फाइल फोटो: सस्पेंड

सस्पेंड होने वाले कर्मचारियों के साथ ही अन्य जेलकर्मी भी दबी जुबान से यह स्वीकार कर रहे हैं कि लापरवाही के जिम्मेदार अधीक्षक को ऊपर का कोई व्यक्ति बचाने का प्रयास कर रहा है, जबकि छोटे कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। सवाल यह है कि आखिर कौन सी ताकत है जो अधीक्षक की ढाल बनी हुई है। इसको लेकर आमजन में सरकार के रवैये को लेकर चर्चाएं बनी हुई हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
error: Content is protected !!