हरिद्वार

मां की डांट से नाराज छात्र को 6 घंटे में दिल्ली से ढूंढ लाई पुलिस, परिवार को लौटाई खुशियां..

पढ़ाई की बजाय मोबाइल चलाने पर मिली थी डांट, एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल के निर्देशन में श्यामपुर पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पढ़ाई के बजाय मोबाइल चला रहे एक छात्र को मां की डांट ऐसी नागवार गुजरी की ₹500 जेब में रखकर सीधे दिल्ली पहुंच गया। मामला नाबालिक छात्रा से जुड़ा होने के चलते पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल के निर्देश पर हरकत में आई श्यामपुर पुलिस ने महज़ 6 घंटे में उसे नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सकुशल बरामद करते हुए चिंतित परिवार के चेहरे पर खुशियां लौटा दी। एसएसपी ने जहां थानाध्यक्ष नितेश शर्मा और पूरी पुलिस टीम को शाबाशी दी, वहीं परिवार में पुलिस की कार्यशैली को सराहते हुए धन्यवाद दिया
————————————–एसपी सिटी पंकज गैरोला ने बताया कि 12 अप्रैल को गाजीवाली, श्यामपुर निवासी गौरव को माँ ने पढ़ाई न करने और मोबाइल पर समय बिताने को लेकर डांट दिया। इस पर गौरव बिना किसी को कुछ बताए घर से निकल गया। परिवार ने जब उसे हर जगह खोजा और कुछ पता नहीं चला तो 13 अप्रैल को उसकी माँ यशोदा देवी ने थाना श्यामपुर में तहरीर दी। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने तत्काल बालक की तलाश के निर्देश दिए। गुमशुदगी दर्ज कर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा के नेतृत्व में टीमें गठित कीं और शहरभर के 150 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई।
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सोशल मीडिया बना सहारा….पुलिस ने डिजिटल सर्विलांस के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी बालक की जानकारी साझा की। यही प्रचार रंग लाया। निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक व्यक्ति ने थाना श्यामपुर के CUG नंबर पर कॉल कर सूचना दी कि एक बच्चा, जिसकी तलाश की जा रही है, वह स्टेशन पर अकेला बैठा है। इस सूचना की पुष्टि होते ही श्यामपुर पुलिस की टीम, परिवार के सदस्यों के साथ दिल्ली रवाना हुई और गौरव को सकुशल बरामद कर हरिद्वार ले आई।
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6 घंटे में मिशन कामयाब……गौरव को घर से निकले हुए कुल 24 घंटे भी नहीं हुए थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 6 घंटे की सटीक कार्रवाई में उसे खोज निकाला। परिवार का भावुक मिलन पुलिस की सतर्कता और समर्पण का प्रमाण बना।
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इस टीम ने निभाई बड़ी जिम्मेदारी…..नितेश शर्मा – थानाध्यक्ष, श्यामपुर
महिला उप.नि. अंजना चौहान
अपर उ.नि. मोहम्मद इरशाद
कांस्टेबल सतीश कोटनाला
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क्या सीख मिलती है.. ?
बच्चों की मानसिकता को समझना उतना ही जरूरी है जितना अनुशासन। इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि सही समय पर, सही कार्रवाई हो तो कोई भी ‘गौरव’ घर वापस आ सकता है।

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