शराब की दुकानों पर लूट: कहीं ओवररेटिंग, कहीं मशीन खराब, कहीं ठेके पर प्राइवेट लोग बेचते मिले शराब..
जिलाधिकारी के निर्देश पर हुई छापेमारी में फिर खुलकर सामने आई अनियमितताओं की पोल, आबकारी विभाग में झोल ही झोल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जनपद में शराब की दुकानों पर मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। कहीं ओवर रेटिंग, कहीं सीसीटीवी बंद, कहीं स्टॉक रजिस्टर ही गायब और कई दुकानों पर तो सेल्समैन की जगह आम युवक शराब बेचते मिले। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह के निर्देश पर हुई छापेमारी में एक बार फिर साफ हो गया कि शराब दुकानों पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
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सलेमपुर और बेगमपुर: बिल गायब, रेट बढ़े, कैमरे बंद….सलेमपुर तिराहा स्थित विदेशी शराब की दुकान में किंगफिशर स्ट्रॉन्ग बियर ₹195 की जगह ₹200 में बेची जा रही थी। ग्राहक से पैसे तो पूरे लिए गए, लेकिन बिल नहीं दिया गया। तीन सेल्समैन मौजूद मिले लेकिन किसी के पास पहचान पत्र नहीं था। दुकान में रेट लिस्ट का बोर्ड छोटा और टोल फ्री नंबर नदारद। बेगमपुर की दुकान में भी हालात कुछ अलग नहीं मिले—सीसीटीवी कैमरे बंद, स्टॉक रजिस्टर गायब और रेट लिस्ट बाहर नहीं टंगी थी।
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बहादराबाद बायपास: कैमरे बंद, रेट ज्यादा, पहचान गायब…..रॉयल स्टैग हॉफ की एमआरपी ₹405 थी लेकिन बिक्री ₹410 में हो रही थी। बिल नहीं दिया जा रहा, सेल्समैन कौन हैं किसी को नहीं पता—क्योंकि किसी के पास कोई पहचान पत्र ही नहीं मिला। 9 में से सिर्फ 5 कैमरे ही काम कर रहे थे। स्टॉक पंजिका नदारद और जरूरी संपर्क नंबर भी नहीं मिले।
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रुड़की क्षेत्र: स्टॉक में गड़बड़ी, हिसाब नहीं मिल पाया….इकबालपुर और झबरेड़ा की दुकानों में स्टॉक रजिस्टर में गड़बड़ी मिली। इकबालपुर में कई ब्रांड की दर्जनों बोतलों का कोई हिसाब नहीं मिला। 23 अप्रैल के बाद रजिस्टर में एक भी एंट्री नहीं की गई।
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भगवानपुर: घरेलू गैस से चल रही दुकान, युवक कर रहे बिक्री…इमलीखेड़ा धर्मपुर ठेका में ओवररेटिंग के साथ ही घरेलू गैस सिलेंडर और छोटा 5 किलो का सिलेंडर भी मिला। सेल्समैन की जगह स्थानीय युवक शराब बेचते पाए गए।
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कुछ जगहें सही, बाकी जगहों पर बेशर्मी से चल रही मनमानी….लक्सर और हरिद्वार के कुछ क्षेत्रों में स्थिति संतोषजनक रही, लेकिन बाकी जगहों पर नियमों की जमकर अनदेखी सामने आई। निरीक्षण रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी गई है।
अब सवाल उठता है — क्या आबकारी विभाग सो रहा है या सब कुछ उसकी निगरानी में हो रहा है।