हरिद्वार

“जश्न-ए-ख़ैरुल वरा” से रोशन होगा रुड़की — मुए मुबारक और टोपी मुबारक की ऐतिहासिक ज़ियारत, 3 से 6 सितम्बर तक होंगे आयोजन..

खबर को सुनें

पंच👊नामा
रुड़की: ईद-ए-मिलादुन्नबी की पुरनूर फ़िज़ाओं में इस साल भी अंजुमन ग़ुलामाने मुस्तफ़ा सोसाइटी (रुड़की चैप्टर) ‘जश्न-ए-ख़ैरुल वरा’ का छठा सीज़न रौशन करने जा रही है। रामपुर रोड स्थित उमर एन्क्लेव में 3 सितम्बर से 6 सितम्बर तक ऐसे कई प्रोग्राम होंगे जिनमें इंसानी ख़िदमत भी है, रूहानी इबादत भी, और महबूब-ए-ख़ुदा ﷺ की शान के तराने भी।अध्यक्ष कुंवर शाहिद ने बताया की रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख़—इस साल 5 सितम्बर—वह मुबारक दिन है जब सारे आलम के लिए रहमत बनकर हुज़ूर-ए-अकरम, हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ तशरीफ़ लाए। वही जिनकी सीरत इंसाफ़, रहम, सच्चाई और ख़ुलूस का मुकम्मल पैग़ाम है; जिनकी तालीमात ने गुलामों को आज़ादी, कमज़ोरों को सहारा और समाज को न्याय की राह दी। उनके दरूदो-सलाम से महकती महफ़िलें सिर्फ़ जश्न नहीं—इंसानियत, शफ़क़त और अमन के उसूलों का ताज़ा अहद हैं। “रहमतल़्लिल-आलमीन” ﷺ के जश्न का अर्थ है—दिलों में मोहब्बत, ज़बानों पर सच, और अमल में ख़िदमत।कार्यक्रम संयोजक अमजद उस्मानी ने कार्यक्रम की तफ्सील जानकारी दी चार दिन, चार रंग: कार्यक्रम-सार
3 सितम्बर – ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ (Blood Donation Camp): आयोजन का आग़ाज़ रक़्तदान से होगा—ज़िन्दगियाँ बचाने की इस नेकी से बेहतर नेकी और क्या है ! नौजवानों और तमाम शहरियों से दान की अपील रहेगी, ताकि मुसीबत की घड़ी में किसी का इलाज रुक न जाए।
4 सितम्बर – फल वितरण (मरीज़ों और तीमारदारों के लिए): अंजुमन के वालंटियर्स शहर के अस्पतालों में मरीज़ों और उनके परिजनों को फल बाँटेंगे। यह रस्म-ए-मोहब्बत महज़ तहरीक नहीं—सीरत-ए-नबी ﷺ से सीखी गई सहानुभूति का अमली इज़हार है।
कोषाध्यक्ष अमजद मालिक ठेकेदार ने बताया की :
5 सितम्बर / 12 रबी-उल-अव्वल – जश्न का शबाब: सुबह: दोपहर को रामपुर से कलियर शरीफ़ जाने वाली साबिर पाक की चादर ले जाने वाले जत्थे का उमर एन्क्लेव गेट पर पुरशान-ओ-शौकत इस्तक़बाल होगा और आम लोगों के लिए सड़क पर ही शाकाहारी लंगर बांटा जायेगा जो बराबरी, भाईचारे और मेहमाननवाज़ी की अलामत है ।
शाम – महफ़िल-ए-समां: पीलीभीत से तशरीफ़ लाए सय्यद डॉ. बिलाल मियां साहब की सदारत में रुहानी महफ़िल होगी। लखनऊ के मशहूर क़व्वाल कमर वारसी हज़रत मोहम्मद साहब ﷺ की शान में नातिया कलाम और क़व्वालियाँ पेश करेंगे। दरूदो-सलाम की महक, नग़्मों की रवानी और अक़ीदत का जज़्बा—महफ़िल को यादगार बनाएगा।साकिब मालिक ने बताया की 6 सितम्बर को दोपहर बजे से शाम 5 बजे तक नगर निगम हॉल में नात ए पाक का कम्पटीशन कराया जायेगा जिसमे शहर और आस पास के मदरसों के बच्चे और तालिब ए इल्म इसमें हिस्सा लेंगे। इस तरह का कम्पटीशन रूरकी शहर में पहली बार होने जा रहा है।
इसके अलावा रुड़की में होगी ऐतिहासिक ज़ियारत: रुड़की के इतिहास में पहली बार हुज़ूर मुहम्मद साहबﷺ के दाढ़ी मुबारक—“मुए मुबारक” और हुज़ूर ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ़ की टोपी मुबारक की ज़ियारत कराई जाएगी। ऐसा रुड़की के इतिहास में पहली बार होगा की मोहम्मद साहब के बाल मुबारक की ज़ियारत आम लोग करेंगे। यह ज़ियारत दिलों को नर्म करती है, ईमान को ताज़गी देती है और अमल की दुनिया में विनम्रता, सफ़ाई और अदब सिखाती है। ज़ियारत का अदब ये है की सभी लोग नरमी से पेश आएँ, धक्का-मुक्की न करें, ख़ामोशी व क़ियाम से दरूदो-सलाम भेजें, और इंतज़ामिया के इशारों का लिहाज़ करें।संस्था के वालंटियर आसिफ अली उर्फ़ हैदर ने बताया की ख़ैरुल वरा का अर्थ है—मख़लूक़ात में सबसे बेहतरीन, यानी हुज़ूर ﷺ। इस नाम के साये में होने वाली हर कोशिश—रकतदान, फल वितरण, लंगर, महफ़िल—दरअसल उसी सुन्नत की याद है जहाँ हमसाये का हक़, मुसाफ़िर का सुकून और कमज़ोर की मदद पहले आती है।
जश्न का असल मक़सद यही है कि हम अपने शहर में रहमत, अमन और अदल का माहौल बढ़ाएँ। इंतेज़ाम, आमद-ओ-रफ़्त और दुआ आयोजन स्थल पर वालंटियर्स की टीम रास्ता-दर्शन, लाइन-मैनेजमेंट और सफ़ाई पर तैनात रहेगी। शिरकत करने वालों से गुज़ारिश है कि पार्किंग और ट्रैफ़िक नियमों में सहयोग दें, आस-पड़ोस का ख़याल रखें और कार्यक्रम को परिवारों के लिए आरामदह बनाएँ। रात के आख़िर में अमन-ओ-सलामती, तरक़्क़ी-ओ-ख़ुशहाली और मुल्क-ओ-मिल्लत के लिए ख़ास दुआ की जाएगी—कि हमारे अमल में सचाई आए, ज़ुबान में नरमी और दिलों में आपसी मोहब्बत पैदा हो । इस मौके पर शहज़ाद मलिक, इनाम सबिर, गुड्डू साबरी बाबा, ज़ुल्फ़िकार अहमद, आदिल गौड़, नसीम मलिक, शाहिद नूर, रिज़वान अली आदि उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »