हरिद्वार

ज्वालापुर में हजरत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय ने निकाला मातमी जुलूस, लहूलुहान हुए अज़ादार..

मजलिस में मौलाना इक़्तेदार नकवी ने बयान किया कर्बला का वाकया, हर किसी की आंख हुई नम..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: मुहर्रम की 10 तारीख को अंजुमन फ़रोग़ ए अज़ा के अध्यक्ष हैदर नक़वी के नेतृत्व में शिया समुदाय के लोगों ने इमाम बाड़ा अहबाब नगर से इमाम हुसैन की याद में एक मातमी जुलूस निकाला। जिसमे इमाम बाड़े में मजलिस का आयोजन किया गया, मजलिस मौलाना इक़्तेदार नक़वी साहब ने पढ़ी। मौलाना ने कर्बला का वाकया बयान करते हुए बताया कि दो मुहर्रम को इराक़ स्थित कर्बला में इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ पहुँचे जिन्हें यज़ीद नामक एक क्रूर शासक के कहने पर 2 मोहर्रम को रास्ते मे रोक लिया और 10 मोहर्रम 61 हिजरी को इमाम हुसैन को उनके परिवार और साथियो को कर्बला में तीन दिन तक भूखा प्यासा रख कर शहीद कर दिया गया।जब इमाम हुसैन अपने छह महीने के बच्चे अली असग़र को लेकर पानी लेने गए तो हुरमला नामक व्यक्ति ने उस बच्चे पर भी दया नही की और तीर मार कर उस बच्चे को भी शहीद कर दिया गया। यह बच्चा कर्बला में इमाम हुसैन पर शहीद होने वाला सबसे छोटा बच्चा था। इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद यज़ीदी फौज ने उनके खेमों में आग लगा दी और इमाम हुसैन के घर की महिलाओ और बच्चो को बंदी बना कर उनपर पत्थर बरसाए गए और हर वो यातना दी गयी जिसको कोई सोच भी नही सकता। इमाम हुसैन ने किसी एक समुदाय या प्रांत के लिए कुर्बानी नही दी बल्कि समूची इंसानियत के लिए इमाम हुसैन ने अपनी और अपने परिवार वालों की शहादत दी। 1400 साल से आज तक इमाम हुसैन के मानने वाले और उनसे मोहब्बत करने वाले 10 मोहर्रम को इमाम हुसैन का ग़म मानते है। मजलिस के बाद इमाम हुसैन के ग़म को याद करते हुए शिया समाज के लोगो ने जंजीर और हाथ का मातम किया और इमाम बाड़े से अध्यक्ष हैदर नक़वी के निवास स्थान पर आकर जुलूस को समाप्त किया। जुलूस में उपस्थित हैदर नक़वी, फ़िरोज़ ज़ैदी, एहतेशाम अब्बास, ज़हूर हसन, जाफ़र हुसैन, बिलाल रज़ा, हादी हसन, अस्करी, अली रज़ा, इक़बाल, अंसार हुसैन, अनवार हुसैन, शोएब नक़वी, मोहम्मद ज़मा, गौहर जाफ़री, दिलशाद नक़वी, कबीर, सज्जाद नक़वी, मोहम्मद मुज्तबा, मोहम्मद शहज़ाद, शजर, ऐजाज़ नक़वी, आशु, रविश नक़वी, हुसैन हैदर, बिलाल नक़वी, अली रज़ा, काज़िम, ग़ाज़ी, बासित आदि मौजूद रहे।

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