उत्तराखंड

“इंस्पेक्टर राज” कायम करना चाहती है सरकार, सिपाहियों के बाद अब दारोगा नाराज..

अधिकांश थानों में इंस्पेक्टर बैठाने के फैसले की हो रही आलोचना,, ऐसे तो 50 फीसद दारोगा कभी नहीं बन पाएंगे थानेदार..

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पंच 👊 नामा
सुल्तान: हरिद्वार:- ग्रेड पे को लेकर पहले ही पुलिसकर्मियों के निशाने पर चल रही प्रदेश सरकार ने अब 26 थानों में इंस्पेक्टरों की तैनाती का फैसला लेकर आग में घी झोंकने का काम कर दिया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा पत्र

सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक पत्र ने पुलिस महकमे में भूचाल ला कर रख दिया है। यह पत्र दारोगाओं की नाराजगी का सबब बन रहा है। पुलिसकर्मियों के व्हाट्सएप ग्रुप में इस फैसले को लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मिशन आक्रोश जैसी स्थिति न पैदा हो जाए।


पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे देने को लेकर सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। घोषणा के कई महीने बाद भी सरकार शासनादेश जारी नहीं कर पाई है। यह हाल तब है जब पुलिसकर्मियों के परिजन सड़कों पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं और सरकार चुनावी मोड में चल रही है। इसी बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक पत्र ने सरकार को दारोगाओं के बीच विलेन बना कर खड़ा कर दिया है। इस पत्र में प्रदेश के कुल 26 थानों को अति संवेदनशील मानते हुए इंस्पेक्टरों की तैनाती करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में कई सवाल खड़े हो गए हैं। बड़ा सवाल यह है कि अभी तक जो दारोगा थानों की कमान संभाल रहे हैं, क्या सरकार की नजर में वह काबिल नहीं है। हरिद्वार जैसे बड़े जिले की बात करें तो यहां कनखल, पथरी, बुग्गावाला, सिडकुल जैसे थानों में अगर इस्पेक्टर की तैनाती की जाती है तो श्यामपुर, कलियर और झबरेड़ा जैसे थाने बचते हैं। थानों में भी इंस्पेक्टरों की तैनाती की जाएगी तो शायद 50 फीसद दारोगा भी अपनी पूरी सर्विस में थानेदार नहीं बन पाएंगे।

सबसे ज्यादा मुश्किल 2016 बैच के दारोगाओं के साथ आ सकती है। चूंकि इस बैच के ज्यादातर दारोगा चौकी प्रभारी और कुछ कोतवाली में वरिष्ठ उप निरीक्षक है। आने वाले समय में इन्हें थानों की कमान दी जा सकती थी लेकिन इससे पहले ही थानेदार बनने का रास्ता बंद होने जा रहा है। कुल मिलाकर यह मामला फैसला चुनावी दौर में सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। कोई बड़ी बात नहीं है कि दारोगा इस फैसले के खिलाफ कोई गुप्त आंदोलन भी खड़ा कर सकते हैं। पहले से ही सिपाहियों के परिजनों के आंदोलन को झेल रही सरकार और महकमे के लिए अब यह नया आदेश बड़ी मुसीबत बन सकता है।

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