कलियर मेले में सूफी नाइट की चर्चाओं के बीच विधायक ने डीएम को भेजी चिट्ठी, दरगाह के पैसे का दुरुपयोग रोकने की मांग..
हर साल जायरीनों के ठहरने में इस्तेमाल होता है जर्मन हैंगर, इस साल कुछ नया करने की तैयारी में हैं वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स..!

पंच👊नामा
पिरान कलियर: शनिवार को मेंहदी डोरी की रस्म के साथ दरगाह साबिर पाक के 755 वे सालाना उर्स का आगाज हो चुका है। इन्ही के बीच कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद का एक पत्र जो जिलाधिकारी हरिद्वार के नाम लिखा गया है खूब सुर्खियों में है। दरअसल पत्र में लिखा गया है कि क्षेत्र के कुछ जिम्मेदार लोगों ने उन्हें अवगत कराया है कि उर्स में जायरीनों की सुविधा के लिए लगने वाले जर्मन हैंगर में इस बार वक्फबोर्ड अध्यक्ष नाचगाने का कार्यक्रम कराना चाहते है, जिससे उर्स/मेले में अव्यवस्थाएं फैल सकती है साथ ही दरगाह के पैसों का भी दुरुपयोग होगा।

विधायक ने जिलाधिकारी से आग्रह करते हुए कहा कि पिछले सालों की भांति ही इस बार भी उर्स/मेले का आयोजन किया जाए, दरगाह के पैसों को जायरीनों की सहूलियत के लिए खर्च किया जाए ना कि नाचगाने के लिए।
————————————
”सूफ़ी नाइट” की क्षेत्र में चर्चा….

उर्स शुरू होने से पहले ही कलियर क्षेत्र खूब चर्चाएं है कि इस बार उर्स में “सूफी नाइट” कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमे मायानगरी से सूफी सिंगर आएंगे, कार्यक्रम में प्रदेशभर से विधायक, मंत्री, अधिकारी आएंगे, लोगो मे चर्चा है कि जायरीनों के लिए बनाए जाने वाले जर्मन हैंगर में ये कार्यक्रम होगा, और इसके लिए पार्किंग स्थल को भी खाली कराया जाएगा। हालांकि इस कार्यक्रम की पुष्टि अभी तक कही से नही हुई है। अभी ये भी मालूम नही हुआ है कि अगर ये कार्यक्रम हुआ तो किसके सौजन्य से होगा इसका खर्च कौन वहन करेगा।
—————————————-
“जायरीनों की भीड़ बनती है चुनौती……

उर्स के मुख्य दिनों में दूर-दराज से आने वाले जायरीनों की संख्या लाखो तक पहुँच जाती है, जायरीनों की भीड़ पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती रहती है। ऐसे में यदि कोई वीआईपी उर्स में आता है तो पुलिस प्रशासन के लिए दोहरी चुनौती बन जाती है। भीड़ में वीआइपी के लिए व्यवस्था स्थापित करना और मेले को सुचारू रखना मुसीबत का सबब बनता है।
—————————————
“जायरीनों के लिए वरदान साबित होता है जर्मन हैंगर……

पिछले वर्ष रस्मे पहली बार जर्मन हैंगर की व्यवस्था प्रशासन ने की थी, जो बारिश के दौरान जायरीनों के लिए वरदान साबित हुई थी। लोगो ने जर्मन हैंगर की व्यवस्था करने पर प्रशासन का आभार जताया था साथ ही जायरीनों की सुविधा के लिए इस तरह की व्यवस्था की प्रत्येक उर्स में करने की मांग की थी। इस बार भी प्रशासन ने जर्मन हैंगर की व्यवस्था की है, लेकिन अगर उसमे किसी तरह का कार्यक्रम किया जाएगा तो यकीनन जायरीनों के लिए परेशानी का सबब बनेगा।