पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: गंगा दशहरा स्नान पर्व पर ज्वालापुर में मेरठ के यात्री और पुलिस के बीच हुए विवाद में सोशल मीडिया पर गलत जानकारी के साथ एक वीडियो शेयर किया जा रहा है। जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि यात्री अपने बच्चों के लिए पानी लेने के लिए रुका था और इस दौरान पुलिस ने उसका चालान काट दिया। जिसको लेकर विवाद हुआ।
सोशल मीडिया पर इस पूरे विवाद में यात्री परिवार को पीड़ित और पुलिस को विलेन बनाकर पेश किया गया। मामला धर्म-कर्म के लिए उत्तराखंड आने वाले यात्रियों से जुड़ा होने के चलते आला अधिकारियों के निर्देश पर इस मामले की हर पहलू पर बारीकी से पड़ताल की गई तो नई बात सामने आई। घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज चेक करने पर पता चला कि मेरठ का यात्री अपने बच्चों के लिए पानी लेने के लिए नहीं रुका था, बल्कि शराब के ठेके से “महा ठंडी बीयर” से अपना गला तर करने के लिए उसने गलत तरीके से गाड़ी को हाईवे पर रोक दिया। शराब ठेके के सीसीटीवी फुटेज से भी इसकी तस्दीक हो रही है। जब तक यात्री ठेके से अपने मतलब का सामान खरीद कर लौटा, तब तक उसकी गाड़ी से जाम लगना शुरू हो गया था। पुलिस के रोकने-टोकने पर वह आग बबूला हो गया और गाली गलौच पर उतर आया। इसके बावजूद उत्तराखंड पुलिस को बदनाम करने के लिए कुछ लोगों ने “विक्टिम कार्ड” खेलने में देरी नहीं की।
लेकिन सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से सोशल मीडिया पर चल रही फर्जी और भ्रामक पोस्ट की सच्चाई सामने आ गई है। अभी तक तो केवल इस बात को लेकर ही सवाल उठ रहे थे की गंगा दशहरा पर स्नान के लिए आने वाले यात्री परिवार को आखिर बिना लाइसेंस वाले पिस्टल साथ लेकर आने की क्या जरूरत थी। मगर ताजा वीडियो से तो यात्री परिवार के चेहरे से नकाब ही उतर गया। सवाल यह उठ रहा है कि धर्म-कर्म के लिए हरिद्वार आने वाले परिवार के लिए पिस्टल लेकर आना और ठेके से बीयर या शराब खरीदना कहां तक जायज है। इस वीडियो से कम से कम उन लोगों को तो अपनी गलती का एहसास हो जाना चाहिए जो यात्रियों के गलत होने के बावजूद आंखें बंद कर उनको पीड़ित मान बैठे हैं और पुलिस अपनी जगह सही होने के बावजूद सवाल उठाए जा रहे हैं।