राजनीति

कांग्रेस विधायकों के लिए संगठन की वैल्यू जीरो, पार्टी से दूरी बनाकर अपनी विधायक निधि से कर रहे भाजपा को मजबूत..

हरिद्वार में कार्यालय छिन जाने पर भी एकजुट नहीं हुई पार्टी, कांग्रेसी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपाई ठेकेदारों की चांदी..

पंच👊नामा ब्यूरो
हरिद्वार: देश में लोकसभा चुनाव का डंका बज चुका है। राहुल गांधी असम और बंगाल में न्याय यात्रा निकाल रहे हैं तो उत्तराखंड में कांग्रेस एक बार फिर अंकिता भंडारी हत्याकांड को हवा देकर सियासी माहौल अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी है। इसके लिए हाल ही में प्रदेश के सभी जिलों में न्याय यात्रा निकाली गई।

फाइल फोटो

दो दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को देहरादून बुलाकर कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का प्रयास भी किया गया। लेकिन क्या इतने भर से कांग्रेस उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव जीतने लायक माहौल बना पाएगी।

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अगर हरिद्वार के हालात देखे जाएं तो भाजपा के मुकाबले पर आना भी मुश्किल है। विडंबना यह है कि दशकों पुराना कार्यालय छिन जाने पर भी हरिद्वार में कांग्रेस एकजुट नहीं हो पाई। गुटों में बंटे पार्टी के नेताओं को छोड़िए, विधायक ही कांग्रेस के कार्यालय की लड़ाई लड़ने बाहर नहीं निकल सके।

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आमजन में इससे क्या संदेश गया, वो अलग बात है, मगर ये साफ हो गया कि कांग्रेस विधायकों की नजर में अपने संगठन की वैल्यू जीरो है। चुनाव जीतने के बाद संगठन को मजबूत करने के बजाय धड़ेबाजी को बढ़ावा देकर कांग्रेस विधायक अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को मजबूत कर रहे हैं।

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ऐसा हम नहीं, बल्कि कांग्रेस विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी संभालने वाले ठेकेदारों की लिस्ट बता रही है। कांग्रेस विधायकों की विधायक निधि पर 90% भाजपा ब्रांड ठेकेदारों का कब्जा है।

काल्पनिक फोटो

यानि की भाजपा से जुड़े ठेकेदार सत्ताधारी विधायकों की विधायक नीति के निर्माण कार्य से तो अपनी झोली भर ही रहे हैं, कांग्रेस विधायकों की विधायक निधि पर भी उनका बराबर सिक्का चल रहा है। यह बात कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं को भी मालूम है।

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लेकिन संगठन इतना लाचार है कि चाह कर भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है। संगठन को विधायकों से और विधायकों को संगठन से कोई सरोकार नहीं है। कई विधायक क्षेत्रों में पार्टी के कार्यक्रमों तक में शामिल नहीं होते, तो जिले में संगठन क्या खाक मजबूत होगा। महत्वपूर्ण अवसरों पर पार्टी अपने कार्यक्रम करती है तो विधायक अपना दरबार सजाते हैं। विधायकों से कांग्रेस के ही नेता दबी जुबान में सवाल पूछ रहे हैं कि संगठन ने आपको कार्यकर्ता से विधायक बनाया, आपने संगठन को क्या दिया।

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इन परिस्थितियों में राहुल गांधी चाहे जितनी लंबी न्याय यात्रा निकाले और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित बड़े नेता लाख जनसभाएं करें, पार्टी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगी। कांग्रेस में विधायकों और संगठन के बीच तालमेल की इस कमी का भाजपा भरपूर फायदा उठा रही है और आने वाले लोकसभा चुनाव में भी वह अभी से 21 नजर आ रही है।

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