राजनीतिहरिद्वार

मैदानी जिलों की उपेक्षा पर नाराज़गी, भाजपा-कांग्रेस पर निशाना, मैदान के विधायकों की चुप्पी पर सवाल..

उत्तराखंड मैदानी महासभा की बैठक में हुआ मंथन, मैदान की आवाज ना उठाने वाले विधायकों के खिलाफ आंदोलन का प्रस्ताव पारित..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड मैदानी महासभा ने राज्य में मैदानी जिलों की अनदेखी और वहां के निवासियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध जताया है। महासभा की एक अहम बैठक में मैदानी विधायकों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए गए। बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि मैदानी विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आवाज नहीं उठाते हैं, तो उनके खिलाफ व्यापक जन आंदोलन चलाया जाएगा। इसके अलावा कुंभ जैसे बड़े आयोजनों में 60% से ज्यादा बजट राशि पहाड़ के क्षेत्र में खर्च होने पर भी महासभा ने सवाल उठाए हैं।
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मैदान और उसके मूल निवासियों की उपेक्षा का आरोप…..बैठक की अध्यक्षता कर रहे महासभा के अध्यक्ष राकेश राजपूत एडवोकेट ने कहा कि उत्तराखंड को बने 25 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान मैदानी क्षेत्रों के विकास की लगातार उपेक्षा की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी नीतियां मैदानी क्षेत्रों के प्रति भेदभावपूर्ण रही हैं, जिससे वहां के मूल निवासियों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
हरिद्वार में कुंभ मेला, लेकिन धनराशि पहाड़ों में खर्च राजपूत ने खासतौर पर हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मेले के लिए सरकार द्वारा आवंटित धनराशि का लगभग 60% हिस्सा पहाड़ी क्षेत्रों में खर्च किया जाता है, जबकि कुंभ मेला पूरी तरह हरिद्वार में आयोजित होता है। उन्होंने इसे मैदानी जिलों के साथ अन्याय करार दिया।
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आरक्षण नीति को लेकर भी उठाए सवाल…..महासभा ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तराखंड के 70% पहाड़ी क्षेत्रों को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अंतर्गत रखा गया है। इसके चलते पहाड़ों से आकर मैदानों में बसे लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता और वे अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
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कांग्रेस पर हमला, भाजपा के भू-कानून का विरोध…..मैदानी महासभा ने राजनीतिक दलों, विशेष रूप से कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बीते 25 वर्षों में कांग्रेस ने कभी भी किसी मैदानी विधायक या कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, डिप्टी स्पीकर, विधानसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सांसद के रूप में नियुक्त नहीं किया। महासभा ने भाजपा सरकार द्वारा लागू किए गए भू-कानून को राज्य के विकास में बाधा बताया और इसे तत्काल संशोधित करने की मांग की।
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विधायक हरीश धामी के बयान पर नाराजगी…..बैठक में कांग्रेस विधायक हरीश धामी के उस कथित वायरल वीडियो की भी कड़ी निंदा की गई, जिसमें वह मैदानी लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। महासभा ने सरकार से मांग की कि इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जाए, अन्यथा एक बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा।
मैदानी विधायकों को चेतावनी….महासभा के अध्यक्ष राकेश राजपूत ने सभी मैदानी विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे अपने क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, बोली, विकास कार्य और युवाओं के रोजगार को लेकर चुप रहते हैं, तो 2027 के चुनावों में मैदान के लोग उन्हें घर बैठाने का काम करेंगे।
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बैठक में शामिल प्रमुख लोग….इस महत्वपूर्ण बैठक में संगठन महामंत्री राजीव देशवाल, महामंत्री धर्मेंद्र कौशिक, एडवोकेट आलोक राजपूत, एडवोकेट कुलदीप राठौर, सुधीर सिंह, एडवोकेट लक्ष्मी राणा, राजीव सिंह, पवनदीप, सुरेश सिंह, कमलेश देवी, सुनीता सिंह, सतीश कुमार, मनप्रीत सिंह, विमला देवी, अरविंद कुमार, ईश्वर चंद, सुनील दीवान, प्रवेश चावला, नरेश शर्मा, प्रमोद कुमार, आलोक सिंह, देश सिंह, इरशाद अहमद, इलियास अहमद, सूरज सिंह, विवेक कुमार और सुरेश सूर्यवंशी सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बैठक के अंत में यह सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि मैदानी विधायक अपने क्षेत्र की आवाज नहीं उठाते हैं, तो उनके खिलाफ जन आंदोलन चलाया जाएगा।

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