अपराधहरिद्वार

फिर हुआ लाल मंदिर की बेशकीमती भूमि को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास, खनन कारोबारी ने एफआईआर से जमाया खेल..

पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के निर्देश पर महिला समेत 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज, कार्रवाई की तैयारी में जुटी पुलिस..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्वालापुर क्षेत्र में एक बार फिर बेशकीमती लाल मंदिर की भूमि खुर्द-बुर्द करने की कोशिश हुई है। खुद को लाल मंदिर के ब्रम्हलीन संत का चेला बताने वाले एक संत ने संपत्ति का बैनामा करने समेत गंभीर आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। पूरे खेल के पीछे हरिद्वार के होटल मालिक व खनन कारोबारी की भूमिका बताई जा रही है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल को दिए प्रार्थना पत्र में रमेश नाथ शिष्य स्वर्गीय महंत शिवनाथ निवासी लाल मंदिर जग्गू घाट आर्यनगर ने बताया कि ब्रहमलीन बाबा स्मृतिनाथ ने लाल मंदिर जग्गू घाट की स्थापना की थी। वर्ष 1970 में बाबा स्मृति नाथ के देहावसान के बाद उसके दादा गुरू महन्त गोपालनाथ शिष्य परंपरा के तहत लाल मंदिर की गददी पर आसिन हुए।वर्ष 1975 में लाल मन्दिर के प्रसार के लिए लाल मंदिर की आय से ऊंचा पुल के पास एक संपत्ति खरीदी। वर्ष 1989 में महंत गोपालनाथ के देहावसान के बाद उसके गुरू महंत शिवनाथ ने गददी संभाली। वर्ष 2006 में उनके ब्रम्हलीन होने के बाद वह संपत्ति की देखभाल करने लग गया। आरोप है कि पांच नवंबर को संपत्ति पर कुछ लोग कब्जा करने की नीयत से पहुंचे। आरोप है कि संपत्ति मनोज बटला पुत्र किशनलाल बाटला निवासी नंदपुरी आर्यनगर, अरूणा शर्मा पुत्री प्यारे लाल वशिष्ठ निवासी अपर रोड, मयंक कुमार पुत्र काकाराम निवासी खड़खडी, सुरेश पुत्र भैरो सिंह निवासी अपर रोड,लक्ष्मी नारायण पुत्र राधेश्याम निवासी भूपतवाला और बालकनाथ पुत्र ज्ञानचंद तोमर निवासी ज्वालापुर से बजरिये वर्ष 2003 और 2005 में खरीदना बताया।

फाइल फोटो

तहसील से मुआयना करने पर पता चला कि मनोज बटला, अरूण शर्मा, संजय कुमार पुत्र अमरीक लाल निवासी भूपतवाला, जितेंद्र पुत्र मुरलीधर निवासी खड़खड़ी, मयंक कुमार, सुरेश, लक्ष्मी नरायण ने उसके गुरू शिवनाथ के कूटरचित फर्जी हस्ताक्षर कर भूमि की एक लीज डीड और दो विक्रय पत्र अपने हक में करवाएं हुए है। उसी के आधार पर मनोज बटला, बालकनाथ ने अवैध रूप से आगे सम्पत्ति बेची है। आरोप है कि एक ही दिन और एक समय पर लीज एवं विक्रय पत्र करवाए गए है। आरोप है कि फर्जी अभिलेख बनाने में बालकनाथ षडयंत्र मे शामिल है। आरोप है कि वर्ष 2007 के विक्रय विलेख में बालकनाथ ने स्वंय को स्वामी शिवनाथ का फर्जी प्रतिनिधि बताकर अपनी अनापत्ति दी है। जबकि उसे इसका कोई अधिकार नहीं था। आरोप है कि इस प्रकरण में उसके पिता ज्ञानचन्द तोमर, तिलकराज पुत्रगण मेघराज निवासी ज्वालापुर, राजेन्द्र स्वामी पुत्र रामरतन निवासी पानीपत हरियाणा, देवेंद्र प्रजापति पुत्र विनोद निवासी कनखल, सुनील अरोड़ा पुत्र सोहन लाल निवासी पानीपत हरियाणा के साथ साज कर कूटरचित दस्तावेजों की कूटरचना कर अलग से आपस में ही सम्पत्ति के मुख्तारनामे एवं विक्रय पत्र तैयार कर सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने की कोशिश की है। कोतवाली प्रभारी प्रदीप बिष्ट ने बताया कि इस संबंध में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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