पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: साल 1999 में बद्रीनाथ में हुई डीजीसी ( जिला शासकीय अधिवक्ता) की हत्या में 25 साल से फरार चल रहे दो लाख रुपये के इनामी अपराधी सुरेश शर्मा को उत्तराखंड एसटीएफ की टीम झारखंड से घसीट लाई। 25 साल से वह नाम और ठिकाने बदल-बदल कर कभी मनीष शर्मा तो कभी मनोज जोशी के रूप में पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा था। उत्तराखंड एसटीएफ के पुलिस कप्तान नवनीत भुल्लर के निर्देशन में इंस्पेक्टर अबुल कलाम के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने कड़ी मशक्कत कर आखिरकार शातिर सुरेश शर्मा को झारखंड से ढूंढ कर गिरफ्तार कर लिया। खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद साल 2005 में सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए ही उत्तराखंड एसटीएफ का गठन हुआ था। एसटीएफ ने हत्या आरोपी को गिरफ्तार कर 25 साल बाद अपने गठन का मकसद साकार कर लिया है। डीजीपी दीपम सेठ सहित आला अधिकारियों ने एसटीएफ और गिरफ्तार करने वाली टीम को बधाई देते हुए पीठ थपथपाई है।
—————————————
ये थी पूरी घटना…..
सुरेश शर्मा और डीजीसी बालकृष्ण भट्ट के परिवार आसपास दो रेस्टोरेंट चलाते थे। आपस में प्रतिस्पर्धा होने के बीच सुरेश शर्मा के रेस्टोरेंट में आग लग गई थी। सुरेश शर्मा को शक था कि अग्निकांड में भट्ट का हाथ है। बदले की आग में सुरेश ने दिनदहाड़े डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की चाकू से हत्या कर दी थी। हत्या के समय मौके पर गिरफ्तार हुआ था, लेकिन 39 दिन बाद ही इलाहाबाद हाई कोर्ट से वह जमानत पर रिहा हो गया था। डीजीसी के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद बालकृष्ण भट्ट की बेटी ने गिरफ्तारी के लिए पीएमओ तक से गुहार लगाई। उस दौरान उत्तराखंड पुलिस पर गिरफ्तारी का इतना दबाव बना कि इसके लिए विशेष रूप से उत्तराखंड एसटीएफ का गठन किया गया।
—————————————
ऐसे हुई गिरफ्तारी…..
उत्तराखंड से फरार होने के बाद सुरेश शर्मा अलग-अलग राज्यों में नाम पते बदलकर छिपा रहा। इतना ही नहीं उसने झारखंड में शादी के बाद अपने बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र में स्थापित भी कर दिया। इधर, उत्तराखंड एसटीएफ की एक टीम उसकी तलाश में लगातार जुटी रही। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह के निर्देशन में टीम ने ऑपरेशन चलाते हुए संदिग्ध दस्तावेज़ और फर्जी आधार कार्ड से पहचान स्थापित की। तकनीकी साधनों और टीमवर्क के जरिए आखिरकार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
—————————————
एसटीएफ के पुलिस कप्तान नवनीत भुल्लर ने बताया सुरेश शर्मा ने फरारी के दौरान मुंबई और कोलकाता में कई व्यवसाय किए। स्क्रैप व्यवसाय के सिलसिले में जमशेदपुर पहुंचा। पश्चिम बंगाल में उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं।इस ऑपरेशन में इंस्पेक्टर अबुल कलाम, उपनिरीक्षक विघादत्त जोशी, नवनीत भंडारी, जनपद चमोली, हैड कांस्टेबल संजय कुमार, एसटीएफ, कांस्टेबल मोहन असवाल व जितेंद्र कुमार, एसटीएफ
—————————————
तकनीकी और मैनुअल सहयोगी टीम….
उपनिरीक्षक यादवेन्द्र बाजवा, एसटीएफ अपर उपनिरीक्षक संजय मेहरोत्रा, एसटीएफ, हैड कांस्टेबल: स्वर्गीय वेद प्रकाश भट्ट (पूर्व नियुक्ति एसटीएफ) महेंद्र सिंह, एसटीएफ श्रवण कुमार, सीसीपीएस बृजेंद्र चौहान, एसटीएफ
कांस्टेबल: गोविंद बल्लभ, एसटीएफ कादर, एसटीएफ
—————————————
इंस्पेक्टर अबुल कलाम को मिला मेडल….उत्तराखंड स्टेप में रहते हुए कई बड़े खूंखार और इनामी अपराधियों को गिरफ्तार करने वाले इंस्पेक्टर अबुल कलाम को गणतंत्र दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री विशिष्ट ऑपरेशन मेडल से नवाजा गया है। डीजीपी दीपम सेठ ने उन्हें मेडल प्रदान किया।