आस्था ही नहीं, सौहार्द का भी मेला, शिवभक्तों के जत्थे ने साबिर पाक के दरबार में चढ़ाए अकीदत के फूल..
हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे शिवभक्तों ने दिया आपसी मोहब्बत और हिंदुस्तानियत का पैगाम..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: कांवड़ मेले को लेकर भले ही कुछ लोग नफरत की राजनीति करने का असफल प्रयास करते हो, लेकिन कावड़ मेला न सिर्फ आस्था बल्कि आपसी सौहार्द का भी प्रतीक है। जिसकी बानगी उत्तराखंड में मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ पिरान कलियर दरगाह में सामने आई। हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे शिव भक्तों ने साबिर पाक के दरबार में अकीदत के फूल पेश किए तो हर कोई उनका सम्मान दिल से सराहना करता नजर आया। यात्रा में नित दिन एक से बढ़कर एक नजारे देखने को मिल रहे है। कोई अपने माता पिता को पालकी में बैठाकर कांवड़ यात्रा करा रहा है तो कोई शिव भोलेनाथ को कंधों पर बैठाकर अपने गंतव्य की ओर जाता दिखाई दे रहा है।शिवभक्तों की कुछ तस्वीरें भाई चारे का पैगाम दे रही है। हरिद्वार से गंगा जल लेकर अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए कावड़ियों के एक जत्थे ने विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर में अकीदत के फूल पेश किए और दरबार मे दर्शन कर मुल्क में अमनो सलामती की प्राथना की।
बुधवार को कांवड़ियों का जत्था पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में हाजिरी के लिए पहुँचा। कावड़ियों के जत्थे ने पहले दरगाह में हाजिरी पेश कर अकीदत के फूल चढ़ाए उसके बाद देश की खुशहाली, तरक्की उन्नति की प्राथना की।
कावड़ियों के जत्थे का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। इस दौरान शिवभक्त कांवड़ियों ने बताया देश में सभी धर्मों के लोग सदियों के प्यार मुहब्बत के साथ रहते आए है, यही भारत की खूबसूरती है कि यहां अलग-अलग मजहबों के लोग आपस में गंगा जमुनी तहजीब से साथ रहते है।
उन्होंने बताया दरबार मे सभी धर्मों के लोग अपनी-अपनी आस्था के साथ आते हैं, वह पहले हरिद्वार गंगा जल लेने गए थे लौटते वक्त उन्होंने दरबार मे अकीदत के फूल पेश कर मन्नते मुरादे मांगी। इसके बाद सभी अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो गए।