हरिद्वार

शिवालिकनगर पालिका का नया शिगूफा, आरटीआई की सूचना देने से प्रभावित होगा कार्यालय का काम-काज..

भेल क्षेत्र में अवैध रूप से लगाए गए होर्डिंग व यूनिपोल को लेकर मांगी गई थी सूचना, बहानेबाजी से उठ रहे सवाल, गोलमाल की चर्चाओं को मिल रहा बल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: हमेशा नए-नए कारनामों और चर्चाओं में रहने वाली शिवालिकनगर पालिका एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला सूचना के अधिकार (RTI) से जुड़ा है। पालिका से भेल क्षेत्र में अवैध रूप से लगाए गए होर्डिंग और यूनिपोल को लेकर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन पालिका ने सूचना देने से इनकार करते हुए अजीबोगरीब तर्क दिया कि सूचना देने में कर्मचारियों और फोटो स्टेट मशीन का अधिक समय लगेगा, जिससे कार्यालय का कामकाज प्रभावित होगा। पालिका के इस तर्क ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर ऐसा कौन-सा राज़ है, जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है..?
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क्या है पूरा मामला..?शिवालिकनगर पालिका के क्षेत्र और भेल की संपत्तियों पर अवैध रूप से होर्डिंग और यूनिपोल लगाए जाने की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। आरोप है कि पालिका ने अपने क्षेत्र के साथ-साथ भेल की भूमि पर भी होर्डिंग लगाकर बड़ी कमाई की है। इस संबंध में भेल प्रशासन की ओर से कई बार नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं, लेकिन अवैध होर्डिंग अभी भी लगे हुए हैं।सूचना अधिकार कार्यकर्ता रमेश चंद शर्मा ने शिवालिकनगर पालिका से आरटीआई के तहत इस मामले में जानकारी मांगी थी। उन्होंने पालिका से यह पूछा था कि भेल की संपत्तियों पर लगाए गए होर्डिंग और यूनिपोल के टेंडर कैसे दिए गए, किन कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया, और पालिका को इससे कितनी आय हुई..? लेकिन आरटीआई का जवाब देने की बजाय, पालिका ने “कार्यालय के कामकाज पर असर पड़ेगा” कहकर सूचना देने से इनकार कर दिया। इससे मामले में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की आशंका और मजबूत हो गई है।
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भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश…?आरटीआई कार्यकर्ता रमेश चंद शर्मा का कहना है कि पालिका अवैध रूप से होर्डिंग लगाने और उससे मिली कमाई के बड़े गोलमाल को छिपाने के लिए बहाने बना रही है। उनका आरोप है कि पालिका ने भेल की जमीन पर अवैध होर्डिंग के टेंडर देकर भारी भ्रष्टाचार किया और इसमें कुछ जनप्रतिनिधियों तथा विज्ञापन कंपनियों की मिलीभगत भी हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि सूचना को “वृहद” बताकर देने से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में पालिका का यह तर्क पूरी तरह गैर-कानूनी और संदिग्ध लगता है।
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बड़े घोटाले की चर्चाएं तेज…..शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि पालिका के कुछ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने एडवरटाइजिंग कंपनियों से सांठगांठ कर अवैध रूप से यूनिपोल और होर्डिंग लगवाए और बिना किसी वैध प्रक्रिया के इनसे लाखों की कमाई की। सूत्रों के मुताबिक, भेल प्रशासन की आपत्ति के बावजूद, पालिका ने कई जगह अवैध विज्ञापन बोर्ड हटाने की बजाय उनसे राजस्व जुटाना जारी रखा। इस मुद्दे पर भेल प्रशासन कई बार शिकायत और नोटिस दे चुका है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
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RTI में टालमटोल से गहराया शक….शिवालिकनगर पालिका की इस बहानेबाजी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर सब कुछ सही था, तो सूचना देने में दिक्कत क्यों हो रही है..? रमेश चंद शर्मा ने कहा कि वे सूचना पाने के लिए अपील दायर करेंगे और जरूरत पड़ी तो राज्य सूचना आयोग का दरवाजा भी खटखटाएंगे। उनका कहना है कि अगर पालिका ने सही तरीके से होर्डिंग और यूनिपोल के टेंडर दिए हैं, तो उन्हें जानकारी सार्वजनिक करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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