पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: पुत्र वधू का टिकट न मिलने से नाराजगी के चलते कांग्रेस में घर वापसी की चर्चाओं के बीच भाजपा ने हरक सिंह रावत को बाय-बाय कह दिया। उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है। इसी के साथ कांग्रेस में हरक सिंह रावत के लिए वेलकम का माहौल शुरु हो गया है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा ने चुनाव के मौसम में अपनी राजनीतिक साख बचाए रखने के लिए रणनीति के तहत यह चाल चली है। लेकिन अब यह भी तय हो गया है कि अगले कुछ घंटों में उत्तराखंड का राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलेगा।
पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में लौटने के बाद कई बार हरक सिंह रावत के वापस लौटने के कयास लगाए जाते रहे। कभी कैबिनेट की बैठक में बीच से उठकर जाने तो कभी कोर कमेटी की बैठक से नदारद रहने पर इन चर्चाओं को बल मिलता आ रहा था। हरक सिंह रावत अपने साथ-साथ अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट मांग रहे हैं। भाजपा हाईकमान ने पुत्रवधू के टिकट से साफ इनकार कर दिया। जिस पर हरक सिंह रावत ने कांग्रेस वापसी के लिए दिल्ली की राह पकड़ी। कांग्रेस में वापसी का कन्फर्मेशन मिलते ही भाजपा ने अपनी सियासी साख बचाने के लिए चंद घंटों पहले ही हरक सिंह रावत को 6 साल के लिए पार्टी से निकालते हुए अगली चाल चल दी। पार्टी ने हरक सिंह रावत को निकालने के साथ ही मंत्रिमंडल से हटाने की सूचना भी राजभवन को भेज दी है।
चूंकि हरक सिंह रावत की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती है। ऐसे में यह साफ है कि हरक सिंह अकेले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में नहीं जाएंगे, बल्कि उनके पीछे कई विधायक भी भाजपा को अलविदा कह सकते हैं। हालांकि खुलासा सोमवार या फिर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि पहले से ही हरीश रावत और प्रीतम सिंह की गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस में भी हरक सिंह रावत के जाने से भूचाल आ सकता है।