राजनीतिहरिद्वार

पिरान कलियर में निर्दलीयों का जलवा, दलों के समीकरण बिगड़े, ‘किंगमेकर’ की भूमिका में निर्दलीय उम्मीदवार..

असली मुकाबला या समीकरणों की बाजीगरी, क्या होगा परिणाम..?

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पंच👊नामा
पिरान कलियर: नगर पंचायत चुनावी जंग का मैदान बन चुका है। हर गली, हर नुक्कड़ पर चुनावी चर्चा गर्म है, और सियासी पारा दिन-ब-दिन चढ़ता जा रहा है। राजनीतिक हलचलों और रणनीतियों का ऐसा खेल देखने को मिल रहा है, जिसमें दलों के समीकरण निर्दलीय प्रत्याशियों के सामने बिखरते नजर आ रहे हैं। इस बार किसी भी प्रत्याशी ने ‘डमी उम्मीदवार’ बनने की हिम्मत नहीं की है। मैदान में डटे हर उम्मीदवार का उद्देश्य सिर्फ एक है—जीत की पताका लहराना।इस नगर पंचायत सीट पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने-अपने उम्मीदवारों को सिंबल थमाया है, जबकि चार प्रत्याशी निर्दलीय बनकर बाजी मारने की तैयारी में हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये निर्दलीय न केवल मैदान को सजाए हुए हैं, बल्कि दलों के मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की कोशिशों में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
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सियासी खेल में निर्दलीयों की भूमिका….?जहां कांग्रेस और बसपा अपनी परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा कर रही हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी हर दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। इन उम्मीदवारों को जनता का जो समर्थन मिल रहा है, वह दलों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। जनता का मूड इस बार कुछ बदला-बदला सा है। निर्दलीय प्रत्याशियों को एक नए विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस और बसपा के लिए चुनौती नहीं, बल्कि ‘मुसीबत’ बन सकते हैं।
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जनता का रुझान, निर्दलीयों पर नजर…जनता से बात करने पर यह स्पष्ट होता है कि उनके मन में दलों से ज्यादा निर्दलीयों पर अहमियत दी जा रही है। क्षेत्र में अधूरी विकास योजनाएं, जल निकासी की समस्याएं और सफाई व्यवस्था की बदहाली मुख्य मुद्दे बने हुए हैं। बड़े-बड़े वादे करने वाली पार्टियों के प्रति मोहभंग होता दिख रहा है। ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार ‘मजबूत विकल्प’ के रूप में उभर रहे हैं।
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दल और निर्दलीय: सियासी जंग में कौन मारेगा बाजी..?पिछले चुनावों के आंकड़ों को देखें तो अधिकांश प्रत्याशी पार्टी समर्थित प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे, तब पार्टियों का वोट प्रतिशत आपस मे बंट गया था है। इस बार दो दलों समेत निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में है और निर्दलीय प्रत्याशियों ने जिस प्रकार से मैदान सजाया है, उससे सियासी समीकरण पूरी तरह से उलझ गए हैं। कांग्रेस और बसपा के नेता जहां प्रचार के जरिये चुनावी जमीन को सींच रहे है, तो वहीं निर्दलीय उम्मीदवार घर-घर जाकर वोटरों से सीधे संवाद कर रहे हैं।
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अंतिम मोड़ पर क्या होने की उम्मीद….चुनावी मैदान की तस्वीर कुछ भी हो, लेकिन इतना तय है कि इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और कांटे का है। जनता किसे जिताएगी, यह तो नतीजे ही बताएंगे, लेकिन इतना जरूर है कि पिरान कलियर की चुनावी जमीन निर्दलीय उम्मीदवारों की मेहनत से खून-पसीने की नमी महसूस कर रही है। दलों की ताकत पर कड़ी चुनौती देने वाले ये उम्मीदवार पूरे दमखम से अंतिम मोर्चे तक डटे रहेंगे।

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