
पंचनामा-ब्यूरो
उत्तराखंड: ऊधमसिंह नगर जिले के गूलरभोज रेलवे स्टेशन से महज 300 मीटर आगे, असामाजिक तत्वों ने रेलवे सुरक्षा को चुनौती देते हुए ट्रैक पर भारी लोहे की अर्थिंग पत्तियां रख दीं। यह कृत्य पोल नंबर 38 और ठंडी नाला के बीच किया गया। त्वरित सूचना पर पहुंचे रेलवे सुरक्षा बलों और पुलिस अधिकारियों ने इन खतरनाक वस्तुओं को हटवाया, जिससे किसी भी बड़ी जनहानि या दुर्घटना को टालने में सफलता मिली। अब संदिग्धों की तलाश और कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है।
एक बेहद चिंताजनक और आपराधिक वारदात में, कुछ असामाजिक तत्वों ने गूलरभोज रेलवे स्टेशन से सटे रेलवे ट्रैक के साथ खतरनाक छेड़छाड़ की है। घटना स्टेशन से लगभग 300 मीटर आगे पोल नंबर 38 और ठंडी नाला के बीच के खंड में सामने आई है।
जानकारी के अनुसार, इन अज्ञात अपराधियों ने रेलवे पटरियों से जुड़ी हुई भारी लोहे की अर्थिंग (अर्थिंग) पत्तियों को निकालकर सीधे ट्रैक पर रख दिया। ये पत्तियां आमतौर पर विद्युतीकृत सिस्टम को ग्राउंड करने के लिए उपयोग होती हैं और इनका ट्रैक पर पड़ा होना किसी भी गुजरती ट्रेन के लिए भयानक दुर्घटना का कारण बन सकता था। ऐसी स्थिति में ट्रेन पटरी से उतरने या बड़े पैमाने पर जानमाल की क्षति का गंभीर खतरा था।
घटना का पता चलते ही मंगलवार, को रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और ग्रुप रेलवे पुलिस (GRP) के वरिष्ठ अधिकारी तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे। इस दल में आरपीएफ कमांडेंट, आरपीएफ निरीक्षक, जीआरपी थानाध्यक्ष काठगोदाम नरेश कोहली, लालकुआं प्रभारी और एसटीएफ की कुमाऊं परिक्षेत्र टीम के अधिकारी शामिल थे। सभी ने मिलकर घटनास्थल का विस्तृत मुआयना किया।
राहत की बात यह रही कि इस कुत्सित प्रयास के बावजूद, घटना से कोई जनहानि नहीं हुई है। सतर्कता और त्वरित कार्रवाई के चलते खतरनाक सामग्री को समय रहते हटा लिया गया और ट्रेन यातायात पूरी तरह से सुचारू रूप से चलता रहा। इस गंभीर सुरक्षा चुनौती की सूचना तुरंत सभी संबंधित उच्चाधिकारियों को दी गई है। आरपीएफ और जीआरपी की टीमें संयुक्त रूप से घटना का नोट तैयार कर रही हैं।
मौके पर संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश और पूछताछ की कार्रवाई भी जारी है। असामाजिक तत्वों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए प्रयास तेज किए गए हैं। उनके खिलाफ आवश्यक वैधानिक धाराओं के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई शुरू करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
रेलवे और पुलिस प्रशासन इस घटना को गंभीरता से ले रहा है। जांच के जरिये अपराधियों तक पहुंचने और उन्हें सजा दिलाने के साथ-साथ ऐसी वारदातों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुरक्षा प्रबंधन पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है।