हरिद्वार

“मोहर्रम का चांद नजर आते हैं ज्वालापुर इमामबाड़ा में इमाम हुसैन की याद में शुरू हुई अज़ादारी..

अंजुमन फ़रोग़-ए-अज़ा की ओर से 10 तारीख तक चलेगा मातम व मजलिसों का दौर..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: मोहर्रम का चाँद नज़र आते ही इमामबाड़ा अहबाब नगर में अज़ादारी का आगाज़ हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी अंजुमन फ़रोग़-ए-अज़ा ज्वालापुर के तत्वावधान में मोहर्रम की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक मजलिसों और मातम का सिलसिला शुरू हो गया है।
————————————संस्था के अध्यक्ष हैदर नक़वी ने बताया कि मोहर्रम इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए सिर्फ एक महीना नहीं, बल्कि सब्र, बलिदान और इंसाफ़ के लिए लड़ाई की मिसाल है। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने ज़ुल्म के आगे झुकने से इंकार कर दिया और कर्बला में शहीद हो गए।
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कर्बला की घटना पर आधारित मजलिसें और मातम…..हैदर नक़वी के अनुसार, दो मोहर्रम को इमाम हुसैन मदीने से कर्बला पहुँचे थे। छह मोहर्रम को यज़ीद की फौज ने नहर-ए-फुरात पर कब्ज़ा कर लिया और पानी बंद कर दिया गया। दस मोहर्रम को इमाम हुसैन और उनके सभी साथियों को शहीद कर दिया गया। इनमें छह महीने के हज़रत अली असग़र भी शामिल थे, जिन्हें गोद में तीर मारकर शहीद किया गया।
पहली तारीख से लेकर दसवीं तारीख तक रोज़ाना मजलिसों में कर्बला की दर्दनाक दास्तानें सुनाई जा रही हैं। अकीदतमंद नौहा व मातम के ज़रिए ग़म-ए-हुसैन में शरीक हो रहे हैं।
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अज़ादारों की मौजूदगी से माहौल ग़मगीन…..इस मौके पर मजलिसों में बड़ी संख्या में अज़ादारों ने शिरकत की। कार्यक्रम में संस्था के सेक्रेटरी फ़िरोज़ ज़ैदी, एहतेशाम अब्बास, अमन, जुनैद, मोहसिन, सज्जाद नक़वी, अनवार हुसैन, जाफ़र हुसैन, हादी हसन, मोहम्मद ज़मा, ग़ाज़ी, मोहम्मद, गोहर जाफ़री, बिलाल रज़ा, अली रज़ा, दिलशाद नक़वी, ऐजाज़ नक़वी, शोएब नक़वी, इक्तेदार नक़वी, ज़हूर हसन, अरशद, कार्ररार, अस्करी रज़ा, इक़बाल, रविश, बासित, हिलाल आदि अज़ादार मौजूद रहे।

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