हरिद्वार

त्रिवेंद्र रावत को ऋषिकेश और हरिद्वार सीट पर मिले सबसे ज्यादा वोट, मंगलौर और कलियर ने बचाई वीरेंद्र की लाज..

अपनी बहन अनुपमा की सीट पर भी पिछड़े वीरेंद्र रावत, साफ नज़र स्वामी यतीश्वरानंद का प्रभाव, हरिद्वार के कांग्रेसियों ने सतपाल की जीत में ढूंढी खुशी..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: हरिद्वार सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को 1 लाख 64 हजार वोटो से हराया। त्रिवेंद्र रावत की इस जीत में ऋषिकेश विधानसभा ने सबसे बड़ी भूमिका अदा की है।इस अकेली सीट पर ही त्रिवेंद्र रावत को 52 हजार वोट की लीड बनाई। दूसरे नंबर पर हरिद्वार विधानसभा में 42 हजार वोट की बढ़त बनाने के बाद त्रिवेंद्र रावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

फाइल फोटो: वीरेंद्र रावत

कांग्रेस के वीरेंद्र रावत कई विधानसभाओं को मिलाकर भी इन दोनों विधानसभा की लीड को कवर नहीं कर पाए। वीरेंद्र रावत की लाज बचाने का काम केवल मंगलौर विधानसभा और पिरान कलियर विधानसभा ने किया।

यहां तक की अपनी बहन अनुपमा रावत की सीट पर भी वीरेंद्र रावत पिछड़ गए। जबकि, कांग्रेस विधायकों वाली अन्य सीट जैसे ज्वालापुर, भगवानपुर व झबरेड़ा में वीरेंद्र रावत को बढ़त जरूर मिली। फिर ऐसा क्या हुआ की अनुपमा रावत की सीट पर वीरेंद्र अपने प्रतिद्वंद्वी त्रिवेंद्र रावत से पीछे रह गए।

फाइल फोटो: कांग्रेस

इसका विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इस सीट पर विधायक अनुपमा रावत से ज्यादा पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का जलवा है। चुनाव के दौरान स्वामी ने जनसभा में बाहरी भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का एहसास भी टीएसआर समेत अन्य बड़े नेताओं को कराया था। वही वीरेंद्र रावत की हार से हताश हरिद्वार के कांग्रेसियों ने अपने पूर्व महानगर अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी की सोनीपत सीट पर हुई जीत में खुशी ढूंढने का काम किया। सोनीपत की जीत न सिर्फ सतपाल ब्रह्मचारी के राजनीतिक करियर के लिए संजीवनी मानी जा रही है।

फाइल फोटो: सतपाल ब्रह्मचारी

बल्कि हरिद्वार के कई और कांग्रेस नेताओं को इस जीत में आने वाले निकाय और विधानसभा चुनाव में अपने लिए उम्मीद की किरण नजर आ रही है।वीरेंद्र रावत केवल कांग्रेस विधायकों वाली सीटों पर यानि पिरान कलियर में 19 हजार, भगवानपुर सीट पर 10 हजार, ज्वालापुर सीट पर नौ हजार, झबरेड़ा से लगभग साढ़े चार हजार वोट से आगे रहे। हैरान करने वाली बात यह है कि वीरेंद्र रावत के लिए सबसे बड़ा अंतर वोट यानि 23 हजार की लीड बसपा विधायक के निधन से रिक्त चल रही मंगलौर सीट से मिली। बसपा की दूसरी सीट यानि लक्सर से वीरेंद्र ने तीन हजार की बढ़त बनाई, मगर अपनी बहन अनुपमा रावत की हरिद्वार ग्रामीण सीट से वह पांच हजार वोटों से फिसड्डी रह गए।

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