कलियर में नेता या सिर्फ चुनावी मेहमान..? 5 साल से विपक्ष गायब, जनता बोली- वोट मांगने आएंगे तो जवाब भी देंगे..
पंच👊नामा
पिरान कलियर: निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर सुगबुगाहट तेज़ होती जा रही है। चुनावी उम्मीदवार जनता के बीच जाकर उनकी नब्ज टटोल रहे हैं और अपनी दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं, शासन के चुनावी अधिसूचना का सभी को बेसब्री से इंतजार है।
इस बार कलियर नगरपंचायत सीट पर समीकरण पूरी तरह बदले हुए नजर आ रहे हैं। चेयरमैन पद के लिए कोई भी दावेदार अभी खुलकर सामने नहीं आया है, लेकिन अंदरखाने हर कोई अपने-अपने धड़ों को संगठित करने में जुटा है।2016 में अस्तित्व में आई कलियर नगरपंचायत ने अपना पहला कार्यकाल पूरा कर लिया है। चेयरमैन पद पर शखावत अली को चुना गया था। हालांकि, चुनाव के दौरान कई अन्य दावेदार भी मैदान में थे जिन्होंने मजबूत प्रतिस्पर्धा की थी,
लेकिन चुनाव परिणाम के बाद विपक्ष की भूमिका में कोई भी प्रभावी रूप से उभर नहीं सका। अब, 2024 के चुनावी दौर में एक बार फिर नए और पुराने दावेदारों की भरमार होने की उम्मीद है। हालांकि, जनता इस बार ज्यादा जागरूक नजर आ रही है और पिछले पांच वर्षों के कार्यों को लेकर सवाल करने के लिए तैयार है।
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जनता के सवाल और दावेदारों की स्थिति……
कलियर की जनता इस बार दावेदारों से यह पूछने की तैयारी में है कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने नगरपंचायत के विकास, पारदर्शिता, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अपनी भूमिका क्यों नहीं निभाई। 2018 के चुनाव में हारने वाले दावेदारों ने विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई, जिससे जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
नगरपंचायत के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों के लिए आवंटित बजट कहां खर्च हुआ, इसकी जानकारी जनता को नहीं मिली, जो विपक्ष की लापरवाही का नतीजा है। कार्यकाल के दौरान कई बार भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगे, लेकिन प्रभावी विपक्ष न होने के कारण ये मुद्दे समय के साथ ठंडे बस्ते में डाल दिए गए।
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जनता की नाराजगी और नेताओं की रणनीति…..
चुनाव के दौरान गली-मोहल्लों से निकलने वाले नेता चुनाव समाप्त होने के बाद कहीं नजर नहीं आते। उनके समर्थक, जिन्होंने उम्मीद के साथ उनका साथ दिया था, पूरे पांच साल खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। हारने वाले दावेदार न तो विपक्ष की भूमिका निभाते हैं और न ही नगरपंचायत के विकास कार्यों पर निगरानी रखने का प्रयास करते हैं।
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भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी……
नगरपंचायत के पांच साल के कार्यकाल में कई बार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं। हालांकि, मजबूत विपक्ष के अभाव में ये मामले या तो दबा दिए गए या अनदेखे कर दिए गए। जनता का मानना है कि अगर विपक्ष मजबूत होता, तो नगरपंचायत की कार्यशैली पर निगरानी रखी जा सकती थी।
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हवाई दावों पर नही होगा चुनाव……
इस बार जनता न केवल दावेदारों की घोषणाओं पर ध्यान देगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि जो हार जाएं, वे विपक्ष की भूमिका को जिम्मेदारी से निभाएं। कलियर नगरपंचायत के आगामी चुनावों में दावेदारों को जनता के इन सवालों का सामना करना पड़ेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पिछले कार्यकाल के अनुभवों से सबक लेकर क्या इस बार जनता की उम्मीदें पूरी हो पाती हैं या नही..