एसएमजेएन पीजी कॉलेज में गढ़वाली व कुमांऊनी व्यंजनों के चटखारे लेकर मनाया गढ़भोज दिवस..
छात्राओं ने गढ़वाली व कुमाऊंनी नृत्य की बिखेरी छठा, उच्च शिक्षा मंत्री को अनूठे अंदाज में दी जन्मदिन की शुभकामनाएं..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: एसएमजेएन पीजी कॉलेज हरिद्वार में सोमवार को गढ़भोज दिवस की धूम रही। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने गढ़वाल और कुमांऊ के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हुए उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को प्रस्तुत किया। सभी जायकेदार और पोष्टिक व्यंजन का आनंद लिया। छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली गीतों पर परंपरागत वेशभूषा में अपने मनमोहक नृत्य से समां बांध दिया। शिक्षकों व अतिथियों ने उत्तराखंडी व्यंजनों का आनंद लिया और छात्र-छात्राओं व अन्य प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। खास बात ये रही कि कार्यक्रम के माध्यम से उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी गई।कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी त्रिलोक चंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तराखंडी व्यंजनों की राज्य निर्माण आंदोलन में भी बड़ी भूमिका रही हैं। ये व्यंजन हमारे राज्य की संस्कृति के परिचायक भी हैं। कॉलेज के प्राचार्य प्रो सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गढ़भोज दिवस का आयोजन उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले व्यंजनों के प्रचार प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं। प्रो. बत्रा ने कहा कि आज के कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं की प्रस्तुतियां उत्तराखंड की संस्कृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी। पत्रकार संदीप रावत ने कहा कि गढ़भोज दिवस के माध्यम से युवा पीढ़ी को पारंपरिक अनाज के विषय में जानकारी मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। राज्य आंदोलनकारी विजय भंडारी ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि गढ़वाली व्यंजनों द्वारा छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक भोजन का साक्षात्कार कराया है। गढ़भोज दिवस की इस व्यंजन प्रतियोगिता में स्टालों में मंडवे की रोटी, भांग और तिल की चटनी, झिंगोरे की खीर, गेहथ की दाल, उड़द की दाल की पकौड़ी, खीरे का रायता आदि बनाकर प्रस्तुत किया। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के समन्वयक डा. संजय माहेश्वरी ने कार्यक्रम के संयोजक मंडल में शामिल रुचिता सक्सेना, डा. रजनी सिंघल, डा. सरोज शर्मा, डा. पूर्णिमा सुंदरियाल व कविता छाबड़ा के सफल प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भागती दौड़ती जिंदगी में बेहतर स्वास्थ्य के लिए पौष्टिकता से भरपूर पहाड़ी भोजन की बहुत आवश्यकता है।
————————————–पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिता में सलोनी व सरस्वती ने संयुक्त रूप से प्रथम, खुशी मेहता व छाया कश्यप ने संयुक्त रूप से द्वितीय, मोनिका ने तृतीय, आरती, दीक्षा व कशिश ने चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त किया। जबकि रोनिक, पिंकी वर्मा, वैष्णवी, दिव्यांशु नेगी, ईशा कश्यप, विकास चौहान और दिव्यांशु गैरोला को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। निर्णायक मंडल के रूप में संदीप रावत, विजय भंडारी, मणिकांत त्रिपाठी, बसंत कुमार, ओमप्रकाश माटा, संदीप अग्रवाल, सुनील शर्मा, निशांत वालिया, अभय गर्ग व सुदेश आर्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर प्रो. जेसी आर्य, प्रो. विनय थपलियाल, डा. शिवकुमार चौहान, डा. मनोज कुमार सोही, डा. मीनाक्षी शर्मा, डा. पल्लवी, डा. लता शर्मा, आकांक्षा पांडे, विनीत सक्सेना, अमिता मल्होत्रा, वैभव बत्रा, डा. पदमावती तनेजा, प्रशिक्षु गौरव बंसल, अर्शिका आदि छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।