पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: देश भर में कहीं कोई सांप्रदायिक घटना होने पर पुलिस अधिकारी सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश देते हैं। आमजन से भी यह अपील की जाती है कि अफवाहों से दूर रहे और किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक व भड़काऊ टिप्पणी न करें।
लेकिन उत्तराखंड में अधिकारियों की इस नसीहत को आमजन तो क्या पुलिसकर्मी ही गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हाल ही में चमोली के नंदा नगर में हुए एक घटनाक्रम के बाद पुलिस कर्मियों के व्हाट्सएप ग्रुप में समुदाय विशेष को लेकर अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। खाकी पहनने के बावजूद “अंधभक्ति और धर्म विशेष के खिलाफ फोबिया का शिकार” कुछ पुलिसकर्मी अक्सर देश के किसी भी कोने में होने वाली घटना का हवाला देते हुए ग्रुप में जहर उगलने से बाज नहीं आते हैं। लेकिन इस बार तो कुछ पुलिसकर्मियों ने हद ही पार कर दी।
उन्होंने जानवरों की फोटो डालकर समुदाय विशेष पर आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणी करने के साथ-साथ अपने अधिकारियों को भी नहीं बख्शा।
अलग-अलग जिलों में तैनात पुलिस कर्मियों ने इस ग्रुप में जमकर गंदगी फैलाई। पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट पढ़ कर पता चलता है कि इन पुलिसकर्मियों के दिमाग में किस हद तक जहर और गंदगी भरी हुई है।
ऐसे में पुलिस में भर्ती होने से पहले संविधान के प्रति निष्ठा और निष्पक्षता की शपथ लेने वाले इन पुलिस कर्मियों से रोजमर्रा के कामकाज में निष्पक्ष पुलिससिंग की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
यह हाल तब है जबकि सूबे के पुलिस मुखिया अभिनव कुमार की छवि एकदम कड़क अधिकारी के रूप में होती है और पुलिस कर्मियों के लिए उन्होंने सोशल मीडिया के संबंध में गाइडलाइन भी जारी की हुई है। डीजीपी के आदेशों का पालन करने के लिए आईजी समेत अलग-अलग जिलों के पुलिस अधिकारियों ने भी दिशा निर्देश जारी किए हुए हैं। लेकिन इन पुलिसकर्मियों ने गाइडलाइन के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों के निर्देशों को भी हवा में उड़ाया हुआ है।
ऐसे में आमजन के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब अधिकारियों की दिशा निर्देशों की उनके अधीनस्थ ही धज्जियां उड़ाएंगे तो आम जनता से अधिकारी किस मुंह से सोशल मीडिया पर संयम बनाने की अपील करेंगे।