पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: मॉनिटर लिजार्ड यानि गोह के अंगों के साथ एक वन्य जीव तस्कर को वन विभाग की टीम ने धर लिया। तस्कर के कब्जे से 285 नग हत्था जोड़ी (मॉनिटर लिजार्ड के अंग) बरामद हुए हैं। विशालकाय छिपकली के इन अंगों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र, जादू टोने और टोटके में होता है।
अमूमन दीपावली से पहले इनकी डिमांड बढ़ जाती है। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, नई दिल्ली की गुप्त सूचना के आधार पर हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने कई जगहों पर छापेमारी करने के बाद हरकी पैड़ी क्षेत्र के विष्णुघाट के समीप बस्ती से एक तस्कर को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि वह कई अंतर्राज्यीय वन्य जीव तस्करों से जुड़ा है और हरिद्वार से इन अंगों की तस्करी दूसरे राज्यों में होनी थी।
—————————————-वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, नई दिल्ली की सूचना पर उप प्रभागीय वनाधिकारी संदीपा शर्मा के नेतृत्व में एक टीम ने जनपद में अलग-अलग क्षेत्रों में छापेमारी करते हुए संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ व तलाशी के लिए अभियान चलाया गया। उसी दौरान आफताब पुत्र भूरा निवासी जिला रामपुर तहसील व थाना मिल्क मोहल्ला नसीराबाद, उत्तर प्रदेश हाल निवासी विष्णु घाट की तलाशी लेने पर उसके पास से 285 नग हत्था जोड़ी (मॉनिटर लिजार्ड का अंग) बरामद हुए।
आरोपी के बारे में जानकारी जुटाने पर पता चला कि वह कई राज्यों के वन्यजीव तस्करों के साथ मिला हुआ है। उप प्रभागीय वनाधिकारी संदीपा शर्मा ने बताया कि मॉनिटर लिजार्ड भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथासंशोधित 2023 के अनुसूचि-1 में दर्ज है। प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए गहन जांच व सर्च अभियान चलाया जा रहा है। आरोपी के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9/51 में केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।
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टीम में ये रहे शामिल……
उप प्रभागीय वनाधिकारी सन्दीपा शर्मा, वन क्षेत्राधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी, प्रभागीय वन सुरक्षा बल के प्रभारी ओम प्रकाश वर्मा, वन दारोगा गजेन्द्र सिंह, शैलजा, विनिता पाण्डेय, वन आरक्षी नरेश कुमार, विपिन चन्द्र, राहुल नेगी, उमेश सिंह राजपूत, रूपा सैनी, उपनल कर्मी राहुल, अंकित रावत, भोलाराम व ताजवर शामिल रहे।
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आप भी दे सकते हैं सूचना……
प्रभागीय वनाधिकारी ने आमजन से अपील की है कि वन्यजीवों और वन्यजीवों के अंगो की तस्करी वन अपराध की श्रेणी के अन्तर्गत आता है। कुछ व्यक्ति गुमराह कर वन्य जीव के अंगों का पूजा-पाठ आदि में उपयोग करने की सलाह देते हैं। जो भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथासंशोधित 2023 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध है। अगर कोई व्यक्ति ऐसी अवैध गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है, तो उसकी सूचना वन विभाग अथवा निकट वन चौकी को दें।