पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: श्यामपुर क्षेत्र में अधजले शव की गुत्थी सुलझाते हुए पुलिस ने कांगड़ी के ही दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दरअसल इस हत्याकांड में अभी तक पुलिस के शक की सुई मृतक तक की पत्नी पर घूम रही थी। लेकिन छानबीन में सामने आया कि मृतक गोपाल के ही दो साथियों ने रूपयों के लालच और गुस्से में उसे मौत के घाट उतारा था।
पहचान ना हो पाए, इसके लिए उन्होंने शव को आधा जला दिया था। अपना गुनाह छिपाने के लिए एक निर्दोष दुकानदार को फंसाने की साजिश भी रची। लेकिन पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के निर्देश पर सीओ सिटी जूही मनराल के नेतृत्व में श्यामपुर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा की टीम ने 48 घंटे के भीतर न सिर्फ ब्लाइंड मर्डर केस का पर्दाफाश किया, बल्कि एक बेगुनाह दुकानदार को जेल जाने से भी बचा लिया।3 नवंबर को श्यामपुर क्षेत्र में उमेश्वर धाम के सामने एक युवक का अधजला शव मिला था। उसकी पहचान गोपाल पुत्र शंकरलाल निवासी महमूद खान सराय जनपद सम्भल उ0प्र0, हाल निवासी- ग्राम कांगड़ी थाना श्यामपुर जनपद हरिद्वार के रूप में उसकी पत्नी अनिता ने की थी। गोपाल के भाई नीरज कुमार की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।
एसएसपी ने एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह को पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी देते हुए सीओ सिटी जूही मनराल की लीडरशिप में टीमें गठित की गईं। जिसकी विवेचना थानाध्यक्ष श्यामपुर नितेश शर्मा को सौंपी गई। शुरुआती जानकारी जुटाने पर सामने आया कि शराब पीने के चलते गोपाल की अपनी पत्नी से अनबन रहती है और अक्सर झगड़ा होता रहता है। जिस कारण वह अपने घर पर कम आता था। मालूमात करने पर मृतक की पत्नी की इस वारदात में किसी प्रकार की संलिप्तता नही मिली।
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इलैक्ट्रोनिक व डिजिटल डाटा एकत्र करने पर प्रकाश में आया कि कांगड़ी शराब के ठेके पर तीन लोगों के बीच झगड़ा हुआ था। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखाने अपने पर उसमें गोपाल और उससे झगड़ रहे युवकों की पहचान रविन्द्र व मोहित के रुप में हुई।
दोनों ही युवक शराब पीने के आदी थे। यह भी पता चला कि रविन्द्र अक्सर नशे में बुज़ुर्गों/बड़ों से बदतमीजी करता था और ज्यादा नशे में होने पर कभी किसी के छिटपुट पैसे भी निकाल लेता था। खोजबीन के बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया तो उन्होंने शराब पीने और नशा ज्यादा होने पर गोपाल की हत्या करने की बात तो स्वीकारी
लेकिन ठेके के बराबर में खोका लगाकर नमकीन, सोडा आदि छुटपुट सामान बेचने वाले राजन नामक व्यक्ति के भी हत्या में शामिल होने की बात कही। लेकिन कई तरीकों से क्रॉस चेक करने पर सभी बातें झूठी साबित हुईं और एक निर्दोष खोका संचालक राजन जेल जाने से बच गया।
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हत्या के दिन गोपाल के पास पांच सौ के नोटों में लगभग 18 से 20 हजार की नगदी थी। नशा होने पर जब मृतक गोपाल ने रविन्द्र और मोहित को उसकी पत्नी को टोके जाने पर गालियां दीं तो गुस्से और नगदी के लालच में दोनों ने गोपाल को ठिकाने लगाने का विचार कर लिया और सुबह से शाम तक कुछ कुछ घंटों के अंतराल में बैठकर शराब पी।
2 तारीख की रात को लगभग 10:30 बजे तीसरी बार मिल-बैठकर शराब पीने के दौरान गोपाल ने फिर से इनके साथ गाली गलौज की। तब रविन्द्र ने गोपाल को मुख्य सड़क से धक्का देकर नीचे गिराया। फिर नीचे झाड़ियां के पास गिरे गोपाल तक पहुंचकर दोनों ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।
दोनों ने मिलकर गोपाल के पैसे और आधार कार्ड चुरा लिया और ये सोचकर कि गोपाल यहां का रहने वाला नही है इसलिए अगर इसकी पहचान छुपा देंगे तो कोई पहचान नहीं पाएगा तब पहचान मिटाने के लिए शराब छिड़ककर लाश को आग लगा दी। आग की ऊंची लपटें देखकर उन्हें लगा कि शरीर पूरा जल जाएगा और पहचान छुप जाएगी इसलिए वो दोनों मृतक के बैग से आधार कार्ड और नगदी लेकर वहां से भाग गए। सुबह शव के सिर्फ आधा जलने व धीरे-धीरे पुलिस की छानबीन और ज्यादा चलने की बात पता चलने पर दोनों भागने के इरादे से घर से निकले थे लेकिन पुलिस ने योजना विफल करते हुए उन्हे धर लिया। खोका संचालक राजन की पड़ताल करने पर वह किसी भी तरह घटना में शामिल नही पाया गया। सबूतों के आधार पर दोनों हत्यारोपियों से पुनः पूछताछ करने पर सामने आया कि पकड़े जाने पर दोनों ने राजन का नाम बस इस वजह से लिया क्योंकी राजन की वित्तीय हालत इन दोनों से काफी बेहतर थी इसलिए इनका सोचना ये था कि जेल चले गए तो जमानत लेने के लिए राजन एक सीढ़ी साबित हो सकता है।
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कम समय “मात्र 48 घंटे के भीतर” इस जघन्य हत्याकांड के सफल खुलासे पर स्थानीय जनता ने कप्तान के कुशल नेतृत्व व हरिद्वार ‘श्यामपुर’ पुलिस की कार्यशैली की सराहना की गई।
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पुलिस टीम…..
1- CO जूही मनराल
2- S.O. श्यामपुर नितेश शर्मा
3- S.I. विक्रम सिंह बिष्ट (प्रभारी चौकी चण्डीघाट)
4- SI अंजना चौहान
5- ASI इरशाद
6- ASI रणजीत चौहान
7- HC अनिल कुमार
8- C. सुशील चौहान
9- C. राजेंद्र नेगी
10- C. रमेश सिंह
11- C. अनिल रावत
12- C. वसीम (CIU हरिद्वार)