देहरादून

सोता रहा वक्फ बोर्ड, दून अस्पताल के बाहर मजार पर रातों-रात चल गया बुलडोजर, शादाब शम्स ने सुबह उठाई जांच की मांग…

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में पंजीकृत मजार को प्रशासन ने अवैध बताकर की कार्रवाई, लोग वक्फ बोर्ड से पूछ रहे सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: दून अस्पताल परिसर के बाहर स्थित एक पुरानी मजार पर धामी सरकार का बुलडोजर चल गया। प्रशासन ने सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर मिली शिकायत के बाद जांच कर मजार को अवैध कब्जा मानते हुए कार्रवाई की।चौंकाने वाली बात यह रही कि वक्फ बोर्ड, जिसके दावे के मुताबिक यह मजार उनकी संपत्ति थी, पूरी कार्रवाई के दौरान निष्क्रिय बना रहा। रातों-रात बुलडोजर मजार पर चला, मलबा हटाया गया और वक्फ बोर्ड को भनक तक नहीं लगी। सुबह मामला गरमाने पर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स हरकत में आए और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
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सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद एक्शन…..ऋषिकेश निवासी पंकज गुप्ता द्वारा सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज शिकायत के बाद देहरादून के जिलाधिकारी के निर्देश पर राजस्व, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और दून अस्पताल प्रशासन सहित विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने जांच की।जांच में मजार को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर निर्मित पाया गया। इसके बाद प्रशासन ने देर रात भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मजार को ध्वस्त करवा दिया। कार्रवाई इतनी तेजी से हुई कि सुबह तक मलबा भी हटा दिया गया था।मजार का एक द्वार मुख्य सड़क की ओर और दूसरा दून अस्पताल के भीतर खुलता था। इलाज के लिए आने वाले कई मरीज यहां दुआ करते और चादर चढ़ाते थे। मजार टूटने के बाद इलाके में हलचल तो रही, लेकिन प्रशासन ने स्थिति पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखा।
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वक्फ बोर्ड का दावा: हमारी संपत्ति थी मजार….मजार ढहाए जाने के बाद वक्फ बोर्ड ने सक्रियता दिखाई। मजार कमेटी के अध्यक्ष महफूज अहमद ने दावा किया कि यह ‘हजरत कमाल शाह’ की मजार थी, जो वक्फ संख्या-55 के तहत उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है और करीब 250 साल पुरानी थी। महफूज अहमद के अनुसार, मजार से होने वाली आमदनी का सात प्रतिशत हिस्सा नियमित रूप से वक्फ बोर्ड को दिया जाता रहा है।वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच की मांग की। वहीं, शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी और मुस्लिम सेवा संगठन के पदाधिकारियों ने भी जिलाधिकारी से मुलाकात कर कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई कानून के मुताबिक और विस्तृत जांच के बाद की गई। यदि वक्फ बोर्ड दस्तावेज पेश करता है और कोई विसंगति सामने आती है तो मामले की दोबारा समीक्षा की जा सकती है।

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